अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष
जब भी देश को बचाने की बात आई है तो नारी शक्ति ने भी अपना दम-खम दिखाया है। पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर दुश्मनों के छक्के छुड़ाए हैं। आर्मी डे पर हम उन महिलाओं को सलाम करते हैं जिन्होंने अपने रहते आर्मी की ताकत को दोगुना किया है। हम आपको उन महिला अफसरों के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपने पराक्रम और अपनी योग्यता से आर्मी में एक अहम पद हासिल किया और देश की सेवा के लिए अपना सर्वस्व सौंप दिया।
*नौसेना की पहली महिला लेफ्टिनेंट जनरल*
पुता अरोड़ा भारतीय नौसेना की पहली महिला लेफ्टिनेंट जनरल थीं। पुनीता का जन्म 13 अक्तूबर 1932 को पाकिस्तान के लाहौर प्रांत में हुआ था। 2004 में पुनीता अरोड़ा, भारतीय नौसेना में लेफ्टिनेंट जनरल के पद तक पहुंचने वाली प्रथम भारतीय महिला बनीं। पुनीता ने अपनी ड्यूटी का काफी वक्त पंजाब में गुजारा। 2002 में विशिष्ट सेवा पदक मिला। उनके 36 साल के कार्यकाल में कुल 15 पदक मिले थे।
*भारतीय वायुसेना की पहली महिला एयर मार्शल*
पद्मावती बंधोपाध्याय को भारतीय वायुसेना की पहली महिला एयर मार्शल होने का गौरव प्राप्त है। वे चिकित्सा सेवा की महानिदेशक रहीं। पद्मावती ने सन् 1968 में भारतीय वायुसेना ज्वाइन किया था। 34 साल बाद अपनी नि:स्वार्थ सेवा भाव और देशप्रेम का चलते सन् 2002 में एयर वाइस मार्शल के पद पर पहुंचने वाली भारतीय वायु सेना की महिला अधिकारी बनीं।
सेना की स्वॉर्ड ऑफ ऑनर हासिल करने वाली देश की पहली महिला कैडेट
दिव्या अजित कुमार ने सात साल पहले मात्र 21 साल की उम्र में सेना की स्वॉर्ड ऑफ ऑनर हासिल करने वाली देश की पहली महिला कैडेट बन गईं थी। दिव्या ने पढ़ाई में भी तीन स्वर्ण पदक जीते हैं। कप्तान दिव्या अजित कुमार को सितंबर, 2010 में सेना के वायु रक्षा कोर में नियुक्त किया गया था। गणतंत्र दिवस (26 जनवरी 2016) पर पहली बार अखिल भारतीय महिला कप्तान दिव्या अजित कुमार ने नेतृत्व किया। उन्होंने 154 महिला अधिकारियों और कैडेटों के एक दल के नेतृत्व किए थे, जहां अमेरिकी राष्ट्रपति “बराक ओबामा” भी उपस्तिथ थे।
ये तीन महिलाएं बनीं देश की पहली फाइटर प्लेन पायलट
18 जून 2016, यह वही दिन था जब इन तीन जांबाजों को देश के नभ को सुरक्षित रखने का जिम्मा सौंप दिया गया था। इसी के साथ, बिहार के बेगूसराय की भावना कंठ, मध्यप्रदेश के रीवा की अवनी चतुर्वेदी और वडोदरा की मोहना सिंह पहली बार वायुसेना में बतौर फाइटर प्लेन पायलट कमीशन हो गईं। ये तीन महिलाएं देश की पहली महिला फाइटर पायलट बन चुकी हैं।
13 लाख रक्षा बलों में पहली महिला जवान
शांति तिग्गा ने 13 लाख रक्षा बलों में पहली महिला जवान बनने का अनोखा गौरव हासिल किया है। भर्ती प्रशिक्षण शिविर के दौरान तिग्गा ने बंदूक को हैंडल करने के अपने कौशल से अपने प्रशिक्षकों को काफी प्रभावित किया और निशानेबाजों में सर्वोच्च स्थान हासिल किया था। शारीरिक परीक्षण, ड्रिल और गोलीबारी समेत आरटीसी में समूचे प्रदर्शन में उसे सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षु आंका गया था जिसके आधार पर उन्हें पहली महिला जवान बनने का मौका मिला था।
कारगिल गर्ल
गुंजन सक्सेना को ‘कारगिल गर्ल’ के रूप में भी जाना जाता है। कारगिल युद्ध में जहां भारतीय सेना ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाए थे वहीं हमारी महिला पायलट भी इसमें पीछे नहीं थीं। फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना एक ऐसा नाम है जो आज भले ही कम लोग जानते हो लेकिन गुंजन पहली महिला पायलट थीं कारगिल युद्ध के दौरान लड़ाई में भारत की तरफ से पाकिस्तान से लोहा लिया था। इसके लिए गुंजन को उनके साहस के लिए शौर्य वीर अवॉर्ड दिया गया था। गुंजन के मुताबिक कारगिल के दौरान भारतीय सेना के घायल जवानों को सुरक्षित निकालकर लाना उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा थी।