भ्रष्ट अधिकारियों एवं नेताओं का चारागाह बना हुआ है छत्तीसगढ़ – अकील

पूर्व सरकार में हुए व्यापक भ्रष्टाचार पर उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच समिति गठित कर न्यायोचित कार्यवाही की दस बिंदुवार मांग की गई है, जिसे हु-ब-हू प्रकाशित किया गया है…
भारत सम्मान, रायपुर – पिछली सरकार में हम सरगुजिहा लोगों ने बहुत सहा अब और नहीं इसलिए मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित कर दस सूत्रीय मांगों पर गंभीरता से विचार करने ध्यानाकर्षण किया गया है। पत्र में लिखा है…
मैं एक असिस्टेंट प्रोफेसर एवं एक्टिविस्ट अंबिकापुर हूँ, पिछली सरकार के कार्यकाल में गरीबों एव आदिवासियों पर हुए शोषण एवं शासन की क्रूरता के विरूद्ध जो न्याय की लड़ाई लड़ने का मेरा कड़वा अनुभव रहा है उसके आधार पर वर्तमान सरकार के लिए कुछ सुझाव/मांग रखना चाहता हूँ। प्रशासनिक एवं वैधानिक शक्तियों के दुरुपयोग से किए गए भ्रष्टाचार एक आम आदमी के सामान्य जन-जीवन एवं उनके मानवाधिकारों को अंदर तक चोट पहुंचाते हैं, इससे सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब एवं आदिवासी होते हैं क्योंकि समुचित शिक्षा एवं सामर्थ्य के अभाव में वे कठिन जीवन जीने को विवश होते हैं अतः शासन की प्रथम जिम्मेदारी है कि अंतिम व्यक्ति को राहत पहुंचाने का कार्य करे।
हालांकि यह समस्या संपूर्ण देश एवं राज्यों में व्याप्त है परंतु चूंकि सरगुजा संभाग 5 वीं अनुसूची में आने वाला क्षेत्र है अतः होना तो यह चाहिए कि यहां के आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार, व्यावहारिक स्तर पर संवैधानिक मूल्यों को स्थापित करे परंतु ठीक इसके विपरीत उक्त क्षेत्र, भ्रष्ट अधिकारियों एवं नेताओं का चारागाह बना हुआ है।
पुलिस की बर्बरता, अदिवासियों की जमीन हड़पना, निर्माण कार्यो में धांधली, कार्यालय में बैठकर एस.डी.एम. स्तर के अधिकारियों द्वारा खुले आम रिश्वत लेना, सरकारी अस्पताल में मेडिकल माफियाओं का राज, खनिज संपदाओं का दोहन, भू-माफिया, कोल माफिया, रेत माफिया आदि की सक्रियता से सरगुजा आतंकित है, यहां की जनता ने पिछली दफा कांग्रेस को पूरी चौदह सीट दीं लेकिन स्थिति बद से बदतर हो गयी। इस बार पूरी सीटें हमने भाजपा को दीं हैं इस आस में कि नवगठित सरकार हमारी सुध लेगी परंतु अभी तक तो कोई ठोस परिवर्तन का प्रयास नहीं दिखा है अतः आपसे सादर निवेदन है कि निम्नांकित बिंदुओं पर संज्ञान लेवें:-
1. यह कि, आदिवासियों की जमीन की फर्जी रजिस्ट्री और विवाद मामलों पर जन-सुनवाई लगाकर सभी मामलों पर जांच।
2. यह कि, शासकीय भूमि एवं वन भूमि के अतिरिक्त अन्य पट्टा वितरण घोटालों एवं अवैध कब्जों के मामलों पर जांच।
3. यह कि, मेडिकल कॉलेज अस्पताल में खरीदी एवं ठेकों के साथ विभिन्न नियुक्तियों में लगे आरोपों पर जांच।
4. यह कि, स्कूल शिक्षा एवं उच्च शिक्षा विभाग में हुए ट्रांसफर/भर्ती एवं फर्जी डिग्रियों के मामलों के साथ विभिन्न मदों में खरीदी एवं सप्लाई के मामलों की जांच.
5. यह कि, नगर पालिक निगम अम्बिकापुर में अमृत मिशन योजना के कथित घोटाले की जांच।
6. यह कि, पत्रकारों एवं समाजसेवियों तथा अन्य पर हुए तकनीकी प्रकार के सभी एफ.आई.आर को सरकार वापस ले तथा उक्त मामलों में दोषी पाए जाने वाले पुलिस वालों पर विभागीय जांच।
7. यह कि, भ्रष्टाचार निवारण के लिए एकल विंडो प्रणाली के तहत शिकायत पोर्टल एवं एंटी करप्शन ब्यूरो के कार्यवाही को पारदर्शी बनाने की पहल।
8. यह कि, सभी दलों के नेताओं एवं बड़े अधिकारियों के आय से अधिक संपत्ति की जांच कराकर मामले को प्रवर्तन निदेशालय को सौंपा जाए।
9. यह कि, पुलिस विभाग में जितने भी कस्टोडियल डेथ के आरोप लगें हैं जिनमें प्रमुखता से अम्बिकापुर, चंदौरा थाना, लटोरी चौकी कस्टोडियल डेथ मामलों पर सी.बी.आई. जांच।
10. यह कि, जिस प्रकार देश में 1 जुलाई 2024 से नये कानून लागू हुए हैं उसी तर्ज पर अंग्रेजों के बनाए गए कानून, छत्तीसगढ़ पुलिस अधिनियम 1861 में जन-हितैषी संशोधन हेतु बिल प्रस्ताव लाकर पारित करवाना।
उक्त सुझाव/मांगों को समूचे प्रदेश स्तर में लागू करने पर यदि शासन गंभीरता से विचार करे तो निश्चित तौर पर गुड गवर्नेंस में हमारा छत्तीसगढ़ देश का प्रथम राज्य होगा, मेरी एवं समस्त सरगुजावासियों की यह अपेक्षा है कि आप उक्त दस सूत्रीय मांगों पर गंभीरता से विचार अवश्य करेंगे।





