देश में किसानों के प्रमुख संगठन को राष्ट्रद्रोही बोलकर किसान वर्ग को उकसाने वालों पर हो FIR
बस्तर, भारत सम्मान – पुलिस महानिरीक्षक बस्तर संभाग (छत्तीसगढ़) से किसान संगठन ने राष्ट्रद्रोही बोलकर किसान वर्ग को उकसाने वालों पर कार्यवाही के लिए ज्ञापन सौंपा है। संगठन ने अपने पत्र में यह उल्लेख किया, जिसे हुबहू साझा किया जा रहा है।
बड़े आहत मन से आपको यह अवगत कराना पड़ रहा है कि देश के प्रमुख किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) जिसने देश के तमाम सरकारों, सभी वर्गों के प्रशासनिक अधिकारियों, नेताओं से वार्ता करके किसान समस्याओं का समाधान करवाया उन्हें ही आज भाजपा के नेता द्वारा राष्ट्रद्रोह के कलंक से नवाजा जा रहा है। यह गाली सिर्फ किसान वर्ग को नहीं बल्कि देश के आदिवासियों, शोषितों, दलितों, पिछड़े वर्ग को दी गयी है जिनकी आवाज पूंजीपति एवं शोषणकारी मानसिकता के लोग दिल्ली तक नहीं पहुँचने देना चाहते हैं। भारतीय किसान यूनियन देश भर के सभी आदिवासियों, शोषितों, दलितों, पिछड़ों की आवाज प्रमुखता से दिल्ली तक उठाती है और यह गाली उन्हें इसलिए दी जा रही है।
सत्ताधारी पार्टी के लोगों द्वारा तीन काले कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए दिल्ली में चले किसान आंदोलन में शामिल किसानों को आतंकवादी, खालिस्तानी, देशद्रोही, गुंडे, बदमाश कहा गया और अब यह छत्तीसगढ़ में भी हो रहा है। सत्ताधारी पार्टी के लोगो द्वारा किसानो को राष्ट्रद्रोही जैसी अपमानजनक गाली देकर सोशल मीडिया (whats app) पर वायरल किया जा रहा है जिसके प्रमाण के रूप में इस ज्ञापन के साथ संदेश का स्क्रीन शॉट संलग्न है। भाजपा के नेता को उन तथ्यों को उजागर करना चाहिए जिसके आधार पर उन्होंने भारतीय किसान यूनियन को देशद्रोही संगठन कहा है जबकि किसान तो देश-दुनिया का पेट पालते हैं। किसानों की भावनाओं को बार-बार ऐसा बोलकर आहत एवं अपमानित किया जा रहा है क्योंकि किसानों द्वारा अपनी आवाज उठाना राष्ट्रद्रोह कैसे हो सकता है।
अभद्र एवं तथ्यहीन बयानों से किसान समाज आक्रोशित है और इसकी आवाज देश की संसद तक उठाई जाएगी। शब्दों की गंभीरता को समझते हुए मामले की उच्च स्तरीय जांच करानी चाहिए क्योंकि ऐसे गैर-जिम्मेदाराना बयान शांति के टापू कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ राज्य में माहौल बिगाड़ने की भावना से प्रेरित हो सकते हैं। पुलिस से यह आशा की जाती है कि उक्त भाजपा नेता के खिलाफ जल्द से जल्द एफआईआर दर्ज करें एवं सख्त से सख्त कार्रवाई करे। कार्यवाही ना करने की स्थिति में भारतीय किसान यूनियन एक जनव्यापी आंदोलन छेड़ने के लिए बाध्य होगा।