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कोई माई का लाल है जो मुझे बनवा दे,ताकी मैं पुरे देश के भुख की ज्वाला शान्त करने वालो किसानों की प्यास मिटा सकु।

भारत सम्मान,सूरजपुर। फिरोज खान – आदिम जाति सेवा सहकारी समिति सलका अघिना का हैंडपंप लगभग एक वर्ष से खराब पड़ा है,हैण्ड पम्प के कलपुर्जे को खोलकर उसके उपर बडा सा पत्थर रखा हुआ है जो टक-टकी निगाहों से आने जाने वाले उन तमाम पक्ष विपक्ष के नेताओ समाज के ठेकेदारों, किसान नेताओ, सबंधित विभाग के अधिकारियों का राह देख रहा है, और चिख-चिख कर कह रहा है की कोई माई का लाल है जो मुझे बनवा दे, ताकी मैं पुरे देश के भुख की ज्वाला शान्त करने वालो किसानों की प्यास मिटा सकु, पर वाह रे सत्ता के दलालों किसी का इस हैंडपंप पर नजर नहीं गया।

ईस भीषण गर्मी में आदीम जाति सेवा सहकारी समिति मे खाद बिज लेने वाले किसानों को प्यास बुझाने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। ज्ञात हो की सलका सोसाइटी मे 23 ग्राम पंचायत के 1651 किसान पंजीकृत है जो सलका सोसाइटी से खाद बीज उठाते हैं। प्रतिदिन सैकडों किसानो का आना जाना लगा रहता है, सोसायटी मे पानी की ब्यवस्था न होने से किसान इस भीषण गर्मी में पानी की किल्लत को लेकर बहुत परेशान है।

इस संबंध में संबंधित विभाग को कई बार शिकायत किया गया लेकिन संबंधित विभाग आंखें मूंदकर सो रही है उसे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। इन दिनो भीषण गर्मी पढ़ने की वजह से सुसायटी के अगल बगल में पानी की ब्यवस्था न होने से किसानों को पानी दूर से लाना पड़ता है ओर अपना सुखे गले को तर करता है, जबकि किसान को धरतीपुत्र कहा जाता है अमीर हो या गरीब राजा हो या उद्योगपति सभी का जीवन किसान की मेहनत पर आश्रित है।

किसान दिन-रात गर्मी बारिश ठंड की परवाह किए बिना अपने खेतों में अपने श्रम से फसलों को उगाता है और वही अनाज पूरे देश के लोगों की भूख शांत करता है इसलिए किसानों का महत्व शास्त्रों में भी वर्णित है पर छत्तीसगढ़ के कांग्रेस सरकार मे उस किसान का घोर अपमान हो रहा है जो पीने के पानी के लिए परेशान हैं, उनके हल्क प्यास से सुखती रहती है जिस पर जिम्मेदार लोगों का ध्यान न जाना बडी शर्मनाक बात है।

छत्तीसगढ़ मे कांग्रेस की भूपेश सरकार भी किसानों के दम पर सरकार बनाने की दम भरती है, सरकार किसानो के प्रति जमीनी स्तर पर कितना संवेदनशील है इस बात से पता चलता है। किसानो को पीने के पानी के लिए जद्दो जहद करना पढ रहा है ओर सरकार के नुमाईन्दे तमाश बीन है इस्से साफ जाहिर होता है किसानो का कोई सुनने वाला नहीं है। भाषण बाजी बतोले बाजी करके किसानो को सिर्फ बोट बैक के लिए उपयोग किया जाता है।

किसान पीने की पानी जैसे समस्या से परेशान है कोई दर्द सुनने वाला नहीं है। जिला प्रशासन अगर तत्काल इस पर ध्यान नही दिया तो गुस्साये किसान कभी भी सडकों पर उतरने के लिए विवश हो जायेगे।

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