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मिलीभगत या लापरवाही : सचिव को धोखे में रख मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने का मामला आया सामने?…लाखों के लोन व बीमा का पैसा प्राप्त करने दस्तावेजो का किया गया उपयोग?…पढ़े पूरी खबर…

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◆ परिवारजनो व ग्राम पंचायत की भूमिका संदिग्ध?…

रायगढ़। जिले के लैलूंगा थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत गहनाझरिया से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहाँ डमरूधर यादव पिता बुधराम यादव (30) वर्ष का ग्राम पंचायत ने धोखे में सचिव को रखकर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करवाने का मामला सामने आया है।

अगर आज के समय मे अंदाज लगाया जाए तो 30 वर्षीय युवक की अकाल मृत्यु या तो दुर्घटना से या की गंभीर बीमारी वजह बन सकती है ; जांच का विषय यह भी है कि अगर मृत्यु दुर्घटना से हुई तो क्या पुलिस में इसकी सूचना दी गयी होगी। या फिर अगर मृत्यु गंभीर बीमारी से हुई तो इलाज के दस्तावेज आखिर कहां है।

प्राप्त जानकारी अनुसार प्रमाण पत्र जारी करने बुधराम यादव ने पंचायत आकर आवेदन दिया, जिसके बाद सचिव ग्राम पंचायत ने 21 जनवरी 2024 को मत्यु तारिक प्रदर्शित करते हुए 12 फरवरी 2024 को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया। आखिर क्या थे दस्तावेज जिसके कारण जारी किया गया मृत्यु प्रमाण पत्र?…

सूत्रों से प्राप्त हवाले से यह जानकारी भी प्राप्त हुई है कि डमरूधर यादव ने अपने नाम पर लोन व शायद कई प्रकार के बीमा भी करवाई गयी है, जहां उनके भाई व पिता द्वारा लोन व बीमा कार्यालयों में जाकर लोन माफ् करने व बीमा के पैसों के लिए लगातार कार्यालयों के चक्कर लगाया जा रहा था। सूत्रों ने यह भी बताया कि डमरूधर यादव अभी जिंदा है व बाहर रह रहा है।

दूसरी ओर खबर यह भी प्राप्त हुई कि डमरूधर यादव द्वारा एसडीएम कार्यालय में अपील दाखिल कर परिवाद प्रस्तुत किया गया जहाँ पटवारी के रूप में दियागढ़ में कार्य पत्स्थाना दिखाते हुए तहसीलदार लैलूंगा के नाम लिखा पत्र भी हाथ लगा है। यह दस्तावेज तात्कालिक कार्य करना कहकर दस्तावेज प्रस्तुत किया गया ।दस्तावेज सत्य है या फिर फ़र्ज़ी इसकी कोई जानकारी प्राप्त नहीं है।

हमारी टीम में जब जांच पड़ताल की तो सूत्रों से पता चला कि पटवारियों में डमरूधर यादव (गहनाझरिया) नाम का कोई व्यक्ति नहीं है।

लोगों को मृत्यु प्रमाण पत्र हासिल करने में हफ्ते लेकर दस दिन तक का इन्तजार करना पड़ता हैं। वहीं लैलूंगा तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत गहना झरिया के सचिव ने कूटरचित अभिलेख की जांच पड़ताल किए बिना ही मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया। वह भी ऐसे व्यक्ति का जो अभी जिंदा है। प्राप्त जानकारी अनुसार आनन फानन में सचिव द्वारा कर दिया गया मृत्यु प्रमाण पत्र में संसोधन आखिर क्यों?…मृत्यु पराम् पत्र जारी करते समय क्या जांच करना होता है अधिकारी को?… क्या पढ़े लिखे लोगों को बनाया जा रहा सचिव?… या छत्तीसगढ़ में भर्ष्टाचार चरण पर?…

ऐसे में खबर लिखे जाने के बाद देखना होगा कि पुलिस-प्रशासन किस तरह की कार्यवाही करती है, या अधिकतर मामलों के तरह इस मामले को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जायेगा।

Bharat Samman

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