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मणिपुर में आदिवासीयों पर हुए अत्याचार को लेकर निकला गया आक्रोश रैली

भारत सम्मान/बलरामपुर/चांदो। विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर सर्व आदिवासी समाज चांदो के द्वारा बुधवार को स्थानीय हाई स्कूल ग्राउंड में हजारो की संख्या में आदिवासी समाज के लोगों की उपस्थिती में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान आदिवासी समाज के सभी वर्गों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। जहाँ आदिवासी बालिकाओं द्वारा आदिवासी संस्कृति और भाषा को जीवित रखने के लिए ध्यान आकर्षित कराते हुवें मांदर की थाप पर कुडुख गीत गाकर समाज के लोगों को गाने के माध्यम से संदेश दिया गया। रैली के दौरान सभी ने मणिपुर की घटना को ध्यान में रखते हुवें नारे के साथ आक्रोश रैली निकाला।

विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर सर्व आदिवासी समाज के सूत्रधार संरक्षक लक्ष्मण नागवंशी के मार्गदर्शन में तथा समाज के वरिष्ठ संतोष तिग्गा की अध्यक्षता में कार्यक्रम सम्पन्न कराया गया। जहाँ आदिवासी समाज के वक्ताओं द्वारा समाज को एकजुट होकर अपने अधिकारों के लड़ाई लड़ने हेतु एकजुट रहने का संदेश दिया गया। आयोजित सभा के बाद समाज के लोगों ने हाइस्कूल खेल मैदान से रैली निकाल कर पैदल मार्च करते हुवे चांदो मुख्य मार्ग से होकर तहसील कार्यालय से होते हुए वापस कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे।

ज्ञात हों की चांदो में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस को सर्व आदिवासी समाज द्वारा धूम-धाम से मनाया गया। हाई स्कूल खेल मैदान चांदो में आयोजित सभा में उपस्थित सभी लोगों के द्वारा सबसे पहले धरती पूजा कर समाज के विभूतियों के छाया चित्र पर पुष्प अर्पित कर आदिवासी परम्परा के साथ पूजा अर्चना कर अपने पूर्वजों को याद करते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की गई।

कार्यक्रम का संचालन कर रहें कुलदीप तिर्की ने सभी अतिथियों का मंच पर स्वागत किया। स्वागत पश्चात कुलदीप तिर्की ने बताया विश्व आदिवासी दिवस क्यों मनाया जाता है बारीकी से बिंदुवार उन्होंने एक-एक कर उन्होंने बताया कि किस प्रकार से आदिवासियों पर अत्याचार और उनके जल जंगल जमीन को छीना जा रहा है और कैसा नियमों वाली को बदला जा रहा है उन्होंने उपस्थित हजारों की संख्या में पहुचे आदिवासियों के बिच अपने बातों को साझा किया।

संतोष तिग्गा ने उपस्थित आदिवासी समुदाय के लोगों को सम्बोधित कर कहा-हम सभी को जागने और एकजुट होने का समय आ गया है। आदिवासियों के साथ दिन प्रतिदिन अत्याचार,शोषण और अन्याय किया जा रहा है। अगर हम लोग एक जुट नही होंगे तो हमारा जल जंगल जमीन हमसे छीन लिया जा रहा है और हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं। हमारे आदिवासियों के ऊपर आए दिन झूठे मामले और प्रकरणों में एफआईआर दर्ज किया जाता है और हमें जेल में डाल दिया जाता है। इस वर्ष को देख लीजिए मणिपुर में हमारे आदिवासियों के साथ कितना अत्याचार और शोषण हुआ है। हमारे छत्तीसगढ़ में मेडिकल में प्रवेश 32 प्रतिशत आरक्षण से ना करके 20 प्रतिशत आरक्षण के हिसाब से दाखिला दिया जा रहा जिसमें हमारे आदिवासी समाज से कोई बच्चे डॉक्टर बनने से वंचित हो जाएंगे। इस दौरान उन्होंने उपस्थित लोगों को कार्यकम में एकजुटता का नारेबाजी कराया। तथा आज के दिन का समय समाज के नाम सभी लोग को देने की अपील की।

सामाजिक कार्यकर्ता सकेंद्र टोप्पो ने कहा- कि आदिवासी आदिकाल से निवास करने वाले को कहते हैं जो जल जंगल जमीन के असली मालिक है,लेकिन सभी एकता के सूत्र में बंध नही पा रहे हैं छोटे छोटे कबीले में बंटकर कमजोर हो गए हैं, हमारे समाज को शिक्षा के साथ संविधान को पढ़ना जरूरी है अभी जो देश के कई हिस्सों में घटनाएं हो रही है उसमे आदिवासी महिला ही ज्यादा शिकार हो रही है। हमारे लिए गर्व करने की बात है की आदिवासी समाज लड़का लड़की को एक मानती हैं इनमे भेदभाव नहीं है और महिला व पुरुषो को भी समान मानती हैं कोई समाज के साथ शोषण न कर सके इसके लिए हर किसी को सामने आकर सहयोग करना चाहिए मणिपुर में आदिवासी महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार पर भी समाज के बिच चिंता व्यक्त किया।

सभा को सामाजिक कार्यकर्ता राम लखन पैकरा,प्रभु दादा,बैगा सरजू टोप्पो सहित अन्य समाज के वरिष्ठजनों ने सम्बोधित किया। वहीं कार्यक्रम के बिच-बिच में पारंपरिक गीत व नृत्य आदिवासी समुदाय के बालिकाओं द्वारा प्रस्तुती दिया जाता रहा। इससे कार्यक्रम में मनमोहक प्रस्तुति के बीच क्षेत्रीय कला को निखारने का भरपूर मौका आदिवासी समुदाय के बालिकाओं को मिला। मंच का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता सकेंद्र टोप्पो व अंतिम में आभार व्यक्त भिमशु तेलरा के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में कंवर यूथ क्लब बलरामपुर के जिलाध्यक्ष यशवंत कुमार पैकरा सहित जनपद सदस्य – गायत्री उर्मिले,एमटी मुनीता टोप्पो,एमटी मिलिना कच्छप,चांदो सरपंच मिन्नू महतो,कुरदिह सरपंच असृता बेक,आदिवासी समाज चांदो के सूत्रधार लक्ष्मण नागवंशी,सामाजिक कार्यकर्ता सतन रामेश्वर बैक, सामाजिक कार्यकर्ता राम लखन पैकरा,कुलदीप तिर्की,महाप्रसाद पैकरा, सरजू टोप्पो, राजेंद्र टोप्पो,प्रभु भगत,सकेंद्र टोप्पो,बिंदु कुमार पैकरा,प्रमोद पैकरा,पांडे पैकरा,छत्रपति पैकरा, संतोष तिग्गा,नंदलाल नागवंशी,सुरजा बेक,सुरंजना भगत,रविंद्र काशी,दिनेश पैकरा,कौशल पैकरा,संजय भगत,रोबोट मिंज, फ्रांसिस जेवियर,तरेश कच्छप सहित हजारों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग उपस्थित रहे।

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