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बिना रॉयल्टी के उत्पादन, प्रति गाड़ी रेट फिक्स, धड़ल्ले से परिवहन जारी…

रायगढ़। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने गौण खनिज के खनिपट्टों को जिला स्तर पर दी गई अनुमति निरस्त दी और राज्य प्राधिकरण ने अनुमोदन अनिवार्य कर दिया। इस आदेश को खनिज विभाग के अफसरों ने अवसर में बदल दिया है। अब बिना रॉयल्टी के खनन भी हो रहा है और परिवहन भी। सिर्फ एक ही बदलाव आया है। जो राजस्व सरकारी खजाने में जाता था, वह अफसरों की जेब में जा रहा है। प्रति गाड़ी रेट तक फिक्स कर दिया गया है। एनजीटी की भोपाल बेंच ने पर्यावरणीय स्वीकृति लेने में बहुत गंभीर अनियमितता पाई और ऐसा आदेश दिया।

छ०ग० की सभी ऐसी गौण खनिज खदानों की अनुमति अमान्य कर दी गई जिनको जिला स्तर पर ही अनुमोदन कर दिया गया था। इसके परिपालन में जशपुर, रायगढ़ और सारंगढ़ के 129 खनिपट्टों को जिला स्तर पर मिली पर्यावरणीय अनुमति को निरस्त कर उत्पादन बंद करने का आदेश दिया है।

गौण खनिज जैसे रेत, लाइमस्टोन, डोलोमाइट, क्वाट्र्ज, फायरक्ले, साधारण पत्थर आदि के खनिपट्टा स्वीकृति के पूर्व भी पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन होता है। इसकी भी पूरी प्रक्रिया होती है। 2017 के पहले ऐसे गौण खनिज खदानों को डिस्ट्रिक्ट इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी (डीआ) से पर्यावरणीय स्वीकृति जारी कर दी गई थी।

एनजीटी ने सख्त आदेश देते हुए कहा था कि डीआ से स्वीकृति लेने वाले खनिपट्टाधारकों को स्टेट इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी (सीआ) से अनुमति लेनी अनिवार्य है। खनन के लिए डीआ की अनुमति मान्य नहीं है। इसके बाद भी खनन लीजधारकों ने सीआ से पुनर्मूल्यांकन नहीं करवाया।

एनजीटी की सेंट्रल जोन बेंच भोपाल ने ऐसे खदानों से उत्पादन पर रोक लगा दी है। पर्यावरण विभाग ने 129 खदानों को बंद करने का आदेश दिया है जिसमें रायगढ़ के 14, जशपुर के 84 और सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के 29 खनिपट्टे शामिल हैं। इनका सीआ से री-एप्रेजल कर नवीन पर्यावरणीय स्वीकृति लिया जाना अनिवार्य है। लेकिन खनिज विभाग सारंगढ़-बिलाईगढ़ और रायगढ़ ने इस आदेश को अपने लिए मौका बना लिया। खदानों से उत्पादन भी नहीं रुका है और परिवहन भी। पर्यावरण विभाग के आदेश के बाद ऐसे खनिपट्टों को चलने नहीं दिया जाना है। लेकिन बिना रॉयल्टी के गाडिय़ां टिमरलगा बैरियर से पार हो रही हैं और रायगढ़ में इनकी एंट्री भी हो रही है।

समानांतर व्यवस्था बना ली अफसरों ने : पर्यावरण विभाग के आदेश के बाद इन खदानों से गौण खनिज का परिवहन नहीं होना चाहिए था। लेकिन खनिज विभाग ने बिना अनुमति के डोलोमाइट और लाइमस्टोन खनन व परिवहन के लिए अपनी वैकल्पिक व्यवस्था बना ली। प्रति गाड़ी का रेट फिक्स किया गया है। सारंगढ़ से निकलने और रायगढ़ में एंट्री के समय पूरा हिसाब किया जाता है। तय राशि देने के बाद ही गाड़ी निकल पाती है। इस नए सिस्टम से पट्टेदार तो खुश हैं क्योंकि उनको रॉयल्टी के चक्कर से निजात मिल गई। खनिज अधिकारी इसलिए खुश हैं क्योंकि उनको बिना मेहनत के आसानी से कमाई हो रही है।

इन खदानों को किया गया बंद : हिलब्रो मेटलिक्स एंड कंस्ट्रक्शन, कृष्ण कन्हैया पटेल, रमेश कुमार घनश्याम अग्रवाल, अग्रसेन माइंस एंड मिनरल्स, मां भवानी ग्रामोद्योग, प्रदीप अग्रवाल टिमरलगा, बालाजी माइंस एंड मिनरल्स, आर्यन मिनरल्स एंड मेटल्स, पीलाबाबू पटेल महुआपाली, आराधना पटेल कटंगपाली, हर्ष मिनरल्स कटंगपाली, मां शक्ति मिनरल्स गुड़ेली, हिलब्रो मेटलिक्स टिमरलगा, उषा अग्रवाल सहजपाली, महामिया मिनरल्स कटंगपाली, केजरीवाल क्रशर उद्योग, विनायक स्टोन क्रशर, छग ट्रेड लिंक सरसरा, रायगढ़ मिनरल्स प्रालि, किशोर शर्मा सलिहा, पूरनचंद अग्रवाल टुण्ड्री, ब्रज कृष्णा उद्योग डुरूमगढ़, निरंजन अग्रवाल बेलटिकरी, जेके क्रशर गुड़ेली, बाबा मिनरल्स गुड़ेली, अग्रसेन क्रशर उद्योग, सद्गुरु सांई माइंस प्रालि, शुभ मिनरल्स गुड़ेली, प्रगति क्रशर गुड़ेली, रायगढ़ जिले के शिवकुमारी राठिया, विजय अग्रवाल, विकास मित्तल, अशोक अग्रवाल, महेश गर्ग, रमेश होता, गौतम अग्रवाल, मुकेश अग्रवाल, ऋषभ अग्रवाल की खदानें शामिल हैं।

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