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तमनार : सूचना के अधिकार अधिनियम की धज्जियाँ उड़ाता वन परिक्षेत्राधिकारी…

◆ कैम्पा मद में करोड़ो के कार्य पर कोई जानकारी या दस्ताजेज उपलब्ध नहीं परिक्षेत्राधिकारी के पास?…

रायगढ़ । जिले के तमनार वनमंडलाधिकारी द्वारा सूचना के अधिकार 2005 अधिनियम की धज्जियां उड़ाई जा रही है। आपको बता दे कि राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के प्रदेश सचिव श्री कार्तिक राम पोर्ते द्वारा तमनार वनमंडल अंतर्गत कैम्पा मद से करवाये गए कार्यो व सोसल ऑडिट से संबंधित जानकारी समयसीमा में उपलब्ध करवाने हेतु आवेदन लगाया गया था पर हद तो तब हो गयी।

सूचना के अधिकार के तहत प्राप्य जानकरी

जब जन सूचना अधिकारी व वन मंडलाधिकारी तमनार द्वारा यह पत्र प्राप्त हुआ कि (आपके संदर्भित आवेदन में रेंज तमनार अन्तर्गत कैम्पा मद में 1 अप्रैल 2019 स 29 फरवरी 2024 तक कराए गए समस्त कार्यों की विस्तृत जानकारी (ग्राम पंचायत ग्राम कार्य शुरू करने की तारीख- फार्य में लागत) की प्रमाणित छायाप्रति उपलब्ध करें, लेख किया है। आपके आवेदन में चाही गई दस्तावेज इस कार्यालय में उपलब्ध नहीं है तथा उसे सृजन किये जाने की आवश्यकता होगी।)

व सोशल ऑडिट को लेकर यह लिखा गया कि:  (संदर्भित आवेदन में रेंज तमनार अन्तर्गत कैम्पा मद में 2019 से 2023 तक कैम्पा मद में हुए कार्यों की सामाजिक अंकेक्षण दस्तावेजों की प्रमाणित प्रति चाही गई है। आपके आवेदन में चाही गई दस्तावेज इस कार्यालय में उपलब्ध नहीं है।)

आखिर क्या है कैम्पा मद : 

वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के तहत जारी दिशा-निर्देशों के पैरा 3.1 (i) के अनुसार, गैर-वन उपयोग के लिए वन भूमि के मोड़ के प्रस्तावों को मंजूरी देते समय प्रतिपूरक वनीकरण केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित सबसे महत्वपूर्ण शर्तों में से एक है। यह आवश्यक है कि ऐसे सभी प्रस्तावों के लिए प्रतिपूरक वनरोपण (सीए) के लिए एक व्यापक योजना तैयार की जाए और भारत सरकार को प्रस्तुत की जाए।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश:

  • सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में टी.एन. गोदावर्मन थिरुमुलपाद बनाम भारत संघ और अन्य [रिट याचिका (सिविल) संख्या 202 ऑफ़ 1995], दिनांक 30 अक्टूबर, 2002, ने देखा कि एक प्रतिपूरक वनीकरण कोष बनाया जाना चाहिए जिसमें प्रतिपूरक वनीकरण के लिए उपयोगकर्ता एजेंसियों से प्राप्त सभी धन, अतिरिक्त प्रतिपूरक वनरोपण, दंडात्मक प्रतिपूरक वनीकरण, व्यपवर्तित वन भूमि या जलग्रहण क्षेत्र उपचार योजना का शुद्ध वर्तमान मूल्य जमा किया जाएगा;
  • सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि कृत्रिम पुनर्जनन (वृक्षारोपण) के अलावा, निधि का उपयोग सहायक प्राकृतिक पुनर्जनन, वनों की सुरक्षा, बुनियादी ढांचे के विकास, वन्यजीव संरक्षण और अन्य संबंधित गतिविधियों के लिए भी किया जाएगा और प्रभावी और उचित सुनिश्चित करने के लिए प्रतिपूरक वनीकरण कोष के माध्यम से लागू किया जाएगा। धन का उपयोग;प्रतिपूरक वनरोपण वन भूमि से मूर्त और अमूर्त लाभों के नुकसान की भरपाई करने के लिए था, जिसे गैर-वन उपयोग के लिए मोड़ दिया गया था। इस तरह की निधियों का उपयोग प्राकृतिक सहायता प्राप्त पुनर्जनन, वन प्रबंधन, संरक्षण, बुनियादी ढांचे के विकास, वन्यजीव संरक्षण और प्रबंधन, लकड़ी की आपूर्ति और अन्य वन उपज बचत उपकरणों और अन्य संबद्ध गतिविधियों के लिए किया जाना था। कोर्ट ने कहा कि यह फंड संघ, राज्यों के सामान्य राजस्व या भारत की संचित निधि का हिस्सा नहीं होगा।पर्यावरण और वन मंत्रालय (एमओईएफ) ने प्रतिपूरक वनरोपण निधि के प्रबंधन के लिए अप्रैल, 2004 में प्रतिपूरक वनरोपण प्रबंधन निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (CAMPA) को अधिसूचित किया।भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मई 2006 में देखा कि कैम्पा अभी भी चालू नहीं हुआ था और कैम्पा के चालू होने तक एक तदर्थ निकाय (जिसे ‘तदर्थ कैम्पा’ के रूप में जाना जाता है) के गठन का आदेश दिया था। केंद्र सरकार ने तदर्थ प्राधिकरण के पास पड़ी निधियों के उपयोग के लिए राज्य प्राधिकरण के विषय पर दिनांक 2 जुलाई, 2009 के दिशानिर्देश तैयार किए।

कैसे करना होता है कैम्पा मद का सोसल ऑडिट : 

मनरेगा की तरह कैंपा मद से राजस्व जमीन पर काम कराने पर सोशल आडिट का प्रावधान है। इसके लिए पंचायतों में समिति बनाने के साथ ही योजना की जानकारी देने का प्रावधान है।

कैंपा (वनारोपण निधि प्रबंधन व योजना प्राधिकरण) के तहत क्षतिपूरक वनीकरण, जलग्रहण प्रबंधन क्षेत्र का उपचार, वन्य जीव प्रबंधन, वनों में आग लगने से रोकने के उपाय, वन में मृदा व आर्द्रता संरक्षण के कार्य कराए जाते हैं। इसके तहत नालों में स्टापडेम, बोल्डर चेक डेम, तालाब का निर्माण, पौधरोपण, फेंसिंग समेत अन्य कार्य होते हैं।

कैम्पा मद के सोसल ऑडिट के लिए बनाई गयी प्रणाली…

सोशल आडिट कराने यह है प्रावधान : 

  • ग्राम सभा की बैठक लेकर जानकारी देना व 3 सदस्यों का चयन।
  • कार्य की लागत, मापदंड, मजदूरी भुगतान की दर पढ़कर सुनाना।
  • मजदूरी भुगतान की जानकारी महत्वपूर्ण स्थलों पर चस्पा करना।
  • मजदूरों का नाम व भुगतान ग्राम सभा में पढ़कर सुनाना।
  • पूर्ण किए गए कार्यों की मात्रा व मानकों का परीक्षण कराना।
  • सरपंच ग्रामसभा लेकर मूल्यांकन प्रतिवेदन डीएफओ को प्रस्तुत करें।
  • परियोजना के लिए प्रोजेक्ट अधिकारी की नियुक्ति डीएफओ करेंगे, डिप्टी रेंजर या परिसर रक्षक के साथ ही अलग से अधिकारी भी हो सकता है।
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