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ग्राम पंचायत डूमरपाली के सरपंच की मनमानी चरम पर

भारत सम्मान/डभरा/विनोद डनसेना:- ग्राम पंचायत डूमरपाली के सरपंच की मनमानी आजकल चरम सीमा पर है डभरा जनपद के ग्राम पंचायत डूमरपाली में कृषि विभाग के द्वारा वितरित किये जाने वाला स्प्रेयर टैंक का मामला है। आपको बता दें कि कृषि विभाग के द्वारा ग्राम पंचायत में जहां गोठान है वहां कृषि कार्य हेतु स्प्रेयर टैंक वितरित किया जाता है। प्रथम बार जब दो स्प्रेयर टैंक आया था तो सरपंच गीता शंकर ने अपने रिश्तेदार भुवन लाल को दिलवाया क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि अगर वह अपने नाम से स्प्रेयर टैंक लेगा तो फिर बात उछलेगी और लोग आक्रोर्षित होंगे और दूसरा स्प्रेयर उप सरपंच के पति योगिन प्रकाश के नाम से जारी हुआ।

अब दूसरी बार जब स्प्रेयर टैंक जारी करने का समय आया तो सरपंच गीता शंकर जायसवाल ने अपने चारों आदमियों को स्प्रेयर टैंक मिलना चाहिए इसके लिए कृषि विभाग में अपना भरपूर जोर लगाया इस पर कृषि विभाग के द्वारा आपत्ति जताई गई तो गीता शंकर ने यह कहा कि इन चारों आदमियों को ही मिलना चाहिए। जब हमारे संवाददाता के द्वारा जब कृषि विभाग में संपर्क किया गया तो यह बात उजागर हुई की कृषि विभाग एवं जनप्रतिनिधि के सामंजस्य से वितरित किया जाता है और कृषि विभाग के पास सर्वाधिकार सुरक्षित है परंतु सरपंच महोदय तो कृषि विभाग को अपने पैर की धूल समझते हैं, सरपंच का कहना है कि कृषि विभाग कौन होता है कहने वाला अब यहां यह बात सोचनीय है कि क्या जितने स्प्रेयर टैंक या जो कार्य होगा वह एक सरपंच निर्धारित करेगा या कृषि विभाग स्वतंत्र है अपना कार्य करने के लिए।

खैर जब सरपंच से इस बारे में चर्चा की गई तो उसने कहा कि जो पहले फॉर्म जमा किए हैं उनको पहले मिलेगा यहां पर आपको हम यह बता दें कि फॉर्म सरपंच के पास जमा नहीं हो रहा था जब सरपंच से यह पूछा गया कि आपको कैसे पता चला कि कौन सा फॉर्म पहले जमा हुआ है तो उसने कहा कि जो मेरे पास पहले हस्ताक्षर करवाया है उसका पहले होगा तब यह पूछने पर कि आपके पास अगर हस्ताक्षर करवाने के बाद अगर वह अपने पास रख लिया है तो क्या उसे फॉर्म को जमा हुआ माना जाएगा इस पर वह बोला कि वह जमा करके मेरे को बताया है लेकिन सरपंच महोदय यह नहीं बता पाए कि पहले जब दो सप्रेयर टैंक आया था उस समय उनका यह नियम कहां था उसे समय एक सरपंच और एक उपसरपंच के नाम से वह जारी कर लिए उस समय इस नियम का हवाला क्यों नहीं दिया गया। अभी जब सप्रेयर टैंक आया है तब वह कह रहे हैं कि मैं तो ग्राम पंचायत के ग्रुप में इस फॉर्म को डाल दिया था तो जिस समय जब दो टैंक आया था उस समय सरपंच महोदय इस फॉर्म को क्यों नहीं डाले उस समय उन्होंने क्यों नहीं कहा कि फॉर्म सभी लोग डाल सकते हैं।

उस समय गुपचुप तरीके से सरपंच और उप सरपंच के द्वारा ही फार्म क्यों डाल दिया गया उस समय यह नियम कहां था जो नियम अभी लागू कर रहे हैं कि जो पहले मेरे पास आएगा हस्ताक्षर व मुहर लगवाएगा उसको पहले मिलेगा खैर जो भी हो यह मनमानी ही है जो कि अपने ही आदमियों को लाभ पहुंचाने के लिए किया जा रहा है अब देखना यह है कि इस पर कृषि विभाग कोई अंकुश लगाती है या फिर ऐसे ही मनमानी करने के लिए छोड़ दिया जाएगा, क्या शासन प्रशासन के द्वारा इसको यह अधिकार दिया गया है कि जो इसके पास पहले हस्ताक्षर करवाएगा उसी को फॉर्म मिलेगा या यह अधिकार कृषि विभाग के पास सर्वाधिकार सुरक्षित है और अगर इसी प्रकार से सरपंच या जनप्रतिनिधियों की मनमानी चलती रही तो फिर कृषि विभाग का इसमें क्या योगदान होगा उससे तो अच्छा है कृषि विभाग के द्वारा इन्हीं को सब चीज सौंप दिया जाए जिससे यही उसको अपने तरीके से संचालन कर सकें अब देखना यह है कि कृषि विभाग अपने अनुसार सप्रेयर टैंक का वितरण करती है या फिर सरपंच की मनमानी को आगे बढ़ाते हुए उसका योगदान देती है।

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