केवरा हाई स्कूल की बाउंड्रीवाल चढ़ा भ्र्ष्टाचार की भेंट,आखिर जिम्मेदार अधिकारी मौन क्यों ?
भारत सम्मान/सूरजपुर/यूसुफ़ मोमिन:- प्रतापपुर ब्लाक का बहुचर्चित ग्राम पंचायत केवरा में विगत तीन वर्षों से विवाद में रहने वाला बाउंड्री वाल स्कूल शिक्षा मद से लगभग 10 लाख रु की लागत से बाउंड्री वाल का निर्माण कराया जा रहा है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत केवरा के सरपँच देवीशंकर के द्वारा मनमानी तरीके से सीमांकन करा कर अपने बोट बैंक की राजनीती करते हुवे आपने कुछ खास सम्बंधित लोगों के लिए शासकीय भूमि का कुछ हिस्सा छोड़कर बाउंड्रीवाल की नींव खुदवाया गया है।
जोकि काफी निंदा का विषय ग्राम पंचायत में बना हुवा है। वहीं दूसरी और कुछ ग्रामीणों के घर के सामने ही दीवार का निर्माण करा दिया गया है। बताया जा रहा है कि मापदंड में तो सिर्फ एक ही बाउंड्री वाल में दरवाजा बनाना है। किंतु जिस पद्धति से दीवाल उठाया गया है
उसे देखने से यह साफ पता चलता है कि इस बाउंड्री में ना जाने कितने द्वार होंगे ज्ञात ही की बाउंड्री वॉल की स्वीकृति लगभग 2 वर्ष पूर्व ही मिलगईं थी और ग्राम पंचायत केवरा के सरपंच देवीशंकर सचिव राममूरत राम के द्वारा लगभग 3 लाख रु की राशि का आहरण भी किया जा चुका है। इतनी मोटी रकम निकालने के बावजूद भी वर्तमान समय तक बाउंड्रीवाल की कार्य मे तेजी नहीं लाया जा सका है।
इसमें कहीं ना कहीं किसी बड़े गबन की भी आशंका जताई जा सकती हैं जबकि अन्य ग्राम पंचायतों में बाउंड्री वॉल के कार्य पूर्ण हो चुका हैं। निर्माण कार्य को रोक रोक कर और मनमाने ढंग से सीमांकन करा कर जो निर्माण किया जा रहा है उसमें जांच की आवश्यकता है। यदि बाउंड्री वाल निर्माण की जांच निष्पक्ष तरीके से हो जाए तो ना जाने कितने तथ्यों से पर्दा हट जाएगा और विकास भी तेजी देखने को मिलेगी बाउंड्री वॉल निर्माण में जांच को लेकर ग्रामीणों में काफी आक्रोश है और जल्द से जल्द जांच की ग्रामीणों के द्वारा मांग की जा रही हैं साथ है आंदोलन की चेतावनी भी दी जा रही हैं।
ज्ञात हों की उक्त खबर को लगातार भारत सम्मान ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था जिससे तहसीलदार की पूरी टीम ने भूमि का सीमांकन तो करा दिया किन्तु विभाग के द्वारा गुणवत्ता की जाँच नहीं की गई और अहाता निर्माण का कार्य पुनः प्रारम्भ किया गया किन्तु सरपंच सचिव का मनोबल इतना बढ़ा हुआ हैं की छाल्टी ईंटो से निर्माण कराया जा रहा हैं वहीं ग्रामीणों की माने तो मटेरियल भी मापदंड को तक में रख कर गुणवत्ता विहीन कार्य किया जा रहा हैं जिससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश हैं वहीं जिम्मेदार अधिकारी कुम्भकरणीय नींद में सो रहे हैं।