लैलूंगा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर जेनेरिक दवाओं के बदले, ब्रांडेड दवाई लिखते हैं, मरीजों के परिवारवाले परेशान।

रायपुर। भारत सम्मान :लैलूंगा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर जेनेरिक दवाओं के बदले, ब्रांडेड दवाई लिखते हैं, मरीजों के परिवारवाले परेशान।
लैलूंगा दिनांक 21.01.25 लैलूंगा सामुदायिक केंद्र में जेनेरीक दवाइयां की जगह, ब्रांड के दम पर बिक रही है महंगे दवाई, जबकि अस्पताल में ही जन औषधालय और बाहर जेनेरिक दवाइयों की दुकान है फिर भी डॉक्टर महंगी और ब्रांडेड दवाएं मरीजों के लिए लिखते हैं इस पर शासन को ध्यान देना चाहिए और समय-समय पर जांच होनी चाहिए जो कि नहीं होती इससे मरीज को परिजन को बहुत परेशानी होती है।
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लैलूंगा|सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लैलूंगा में सरकार के द्वारा जो देश जेनेरिक दवाई दी जाती है उसे न देखकर डॉक्टरों द्वारा माही ब्रांड की दवाइयां बेटी जा रही है जो की भारत सरकार द्वारा जेनेरिक दवाई मुक्त में दी जाती है उसे न देकर बड़ी ग्राम की दवाइयां को भेजा जा रहा है और सरकारी फंड से आए हुए दवाइयां को फेंका जा रहा है या उसका उपयोग नहीं किया जा रहे हैं इसमें सर्दी से लेकर बुखार तक और जो पृथ्वी वाली बीमार होती है उन सारी दवाईयां का ब्रांड का उपयोग कर गरीबों और कई अभाव ही व्यक्तियों को दवाइयां को ब्रांड के नाम पर चिपकाए जा रहा है इस बीमारियों का इलाज जेनेरिक दवाइयां से भी हो सकता है।
चिकित्सा विभाग में दलाल सक्रिय
कुछ ऐसा कंपनी होते हैं जो अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए एजेंट हायर करते हैं और वह डॉक्टर को सलाह देते हैं कि हमारे ब्रांड की ही दवाइयां उसमें उपयोग में ली जानी चाहिए और उसके बदले हम आपको मोटी रकम देंगे जिसे इलाज के नाम पर कंपनियों को फायदा हो रहा है यदि किसी व्यक्ति को मामूली बुखार भी हो तो उसे ब्रांडेड दवाइयां उपयोग में पर्ची में लिखकर दे दिया जा रहा है और व्यक्ति जेनेरिक दवाई पर भी ठीक होना होता होता है उसे बड़ी ब्रांड की दवाइयां चिपका दी जाती है
तो सरकारी फंड द्वारा आई दवाइयां का क्या?
भारत सरकार ,यूनिसेफ और WHO के द्वारा सभी जगह को मुक्त में सामान्य दवाइयां उपलब्ध कराई जाती हैं जो अधिकतर जेनेरिक दवाई होती हैं और वह सस्ते होते हैं उसके लिए सर्दी खांसी मलेरिया तक कभी सुविधा होता है उसे न देकर कंपनियों की महंगी ब्रांड वाली दवाइयां उपयोग में ली जाती है और डॉक्टरों द्वारा उसकी पर्ची बनाकर मरीजों को सौंप दिया जाता है
ब्रांड दवाइयां से किसको फायदा
कुछ ऐसे ब्रांड होते हैं जो अपने प्रोडक्ट बेचने के लिए व्यक्तियों और मरीजों को दवाइयां बेचते हैं और जो बीमारी जेनेरिक दवाई से भी होती है उसे सिर्फ ब्रांड दवाई बात कर भेजा जा सकता है इससे बड़ी-बड़ी कंपनियों को फायदा होता है ना कि गरीबों को इससे डॉक्टर को बहुत बड़ी कमीशन दी जाती है
लोग मेडिसिन के बारे में जागरूक क्यों नहीं
दवाइयां का उपयोग व्यक्ति लगभग साल में एक या दो बार करता है और उसके बाद वह हमेशा स्वस्थ ही रहता है यदि हम लैलूंगा क्षेत्र के व्यक्तियों के बारे में समझे अधिकतर यहां क्षेत्र आदिवासी क्षेत्र है और सब काम करने और हार्ड वर्क करने वाले व्यक्ति होते हैं तो यह बीमार नहीं होते और हमेशा लगभग स्वस्थ रहते हैं तो इन्हीं दवाइयां के बारे में कुछ खास जानकारी रहता नहीं और यह घर में भी कुछ मेडिसिन नहीं रखते

