चार दशकों की अटूट जनसेवा: सुरेश अग्रवाल का दबदबा कायम,जनता के दिलों पर राज

40 साल की अपराजेय राजनीति! सुरेश अग्रवाल का वर्चस्व फिर कायम,जनता के दिलों पर राज कायम,चार दशकों से अटूट जनसेवा का सफर जारी!
भारत सम्मान/सूरजपुर/ फिरोज खान:- ग्राम पंचायत पकनी में राजनीति और जनसेवा का एक ऐसा अध्याय लिखा गया है, जिसका हर पन्ना सुरेश अग्रवाल के समर्पण, संघर्ष और अपराजेय नेतृत्व का गवाह है। 40 वर्षों से उनका एकतरफा दबदबा कायम है, और इस बार भी उन्होंने अपनी रणनीति व संगठन क्षमता से महिला सरपंच पद पर लक्षमनिया पैकरा को भारी मतों से विजयी बनाया। यह केवल चुनावी जीत नहीं, बल्कि जनता का उनके प्रति विश्वास, स्नेह और अटूट समर्थन है, जो दशकों से बना हुआ है। उनके समर्थकों का कहना है कि सुरेश अग्रवाल सिर्फ नेता नहीं, बल्कि जनता के सच्चे सेवक हैं, जो हर दुख-सुख में साथ खड़े रहते हैं।

सुरेश अग्रवाल ने 21 वर्ष की उम्र में राजनीति में कदम रखा था और उसके बाद लगातार 15 वर्षों तक सरपंच रहे। जब ग्राम पंचायत का सरपंच पद आदिवासी आरक्षित हुआ, तो वे 15 वर्ष तक जनपद सदस्य रहे। इसके अलावा, 10 वर्षों तक उपसरपंच रहे और चंद्रमेढ़ा सोसायटी के प्रतिनिधि के रूप में जिला अंबिकापुर में भी प्रभावी भूमिका निभाई।उनकी संगठन क्षमता और राजनीति में दूरदर्शिता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब सरपंच पद आरक्षित हुआ, तो उन्होंने जैनाथ पैकरा को सरपंच बनाया और 15 वर्षों तक पंचायत में अपनी रणनीतिक पकड़ बनाए रखी। इस बार महिला सीट पर लक्षमनिया पैकरा को 1110 में से 890 वोटों के भारी अंतर से विजयी बनाकर उन्होंने फिर से अपना वर्चस्व साबित किया। भाजपा संगठन में मजबूत पकड़, जनता के बीच गहरी पैठ सुरेश अग्रवाल केवल पंचायत स्तर पर ही नहीं, बल्कि भाजपा संगठन में भी विभिन्न पदों पर रहकर जनता की सेवा करते आ रहे हैं। उनकी संगठन शक्ति और सामाजिक जुड़ाव का ही नतीजा है कि क्षेत्र के लोग आज भी उन्हें दिल से चाहते हैं और हर चुनाव में उन्हें अपार समर्थन देते हैं।

गांव के विकास पुरुष, गरीबों के हमदर्द गांव और क्षेत्र में सुरेश अग्रवाल को विकास पुरुष के रूप में जाना जाता है। वे हर गरीब, मजदूर और जरूरतमंद के लिए 24 घंटे उपलब्ध रहते हैं। सामाजिक कार्यों में उनकी सक्रिय भूमिका और जनकल्याणकारी सोच ने उन्हें जनता के बीच और अधिक लोकप्रिय बना दिया है। वे हमेशा गरीबों के साथ बैठकर उनके सुख-दुख में सहभागी बनते हैं और गांव के हर उत्सव, पर्व और संकट में सबसे आगे खड़े रहते हैं। भूपचंद कुशवाहा और प्रेम कुशवाहा का योगदान, भारी बहुमत से विजय सुरेश अग्रवाल के नेतृत्व में भूपचंद कुशवाहा और प्रेम कुशवाहा ने भी गांव की राजनीति में मजबूती से काम किया है। भानू कुशवाहा को जनपद पंचायत सदस्य बनाकर एक और बड़ी जीत हासिल की गई। प्रेम कुशवाहा लगातार 15 वर्षों से जनपद सदस्य हैं और इस बार तीसरी बार उपसरपंच बने हैं।

छोटे भाई संजू अग्रवाल का भी जलवा कायम, युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत सुरेश अग्रवाल के छोटे भाई संजू अग्रवाल भी जनता के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। वे हमेशा सामाजिक कार्यों में अग्रणी रहते हैं और युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बने हुए हैं। उनकी सामाजिक सक्रियता और आम जनता के प्रति उनकी सेवा भावना ने उन्हें क्षेत्र में एक अलग पहचान दी है।इस ऐतिहासिक जीत के बाद गांव में भव्य विजय जुलूस निकाला गया, जिसमें सैकड़ों समर्थकों ने नाच-गाने और ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाया। विजयी जुलूस में भूपचंद कुशवाहा, बिजेंद्र देवागन, बिंदु कुशवाहा, किसुन यादव, केशव कुशवाहा, भारत कुशवाहा, कांता कुशवाहा, सुरेंद्र कुशवाहा, अक्षय पैकरा, मोहन पैकरा, गुलशन कुशवाहा, रमेश कुशवाहा, महेंद्र गुप्ता, आनंद गिरी, विनय कुशवाहा, संदीप राजवाड़े, शिवप्रसाद कोटवार, अनुज कुशवाहा सहित सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल हुए।
पूरा क्षेत्र “जय श्री राम” और “सुरेश अग्रवाल जिंदाबाद” के नारों से गूंज उठा और विरोधी खेमे में सन्नाटा छा गया।
विरोधियों को करारी शिकस्त, जनसेवा का सिलसिला जारी
इस चुनाव में विरोधियों को चारों खाने चित कर दिया गया और एक बार फिर यह साबित हो गया कि जनता का दिल जीतने के लिए सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि सेवा भाव जरूरी होता है। सुरेश अग्रवाल की 40 वर्षों की अपराजेय यात्रा सिर्फ एक व्यक्ति की कहानी नहीं, बल्कि एक संकल्प, एक विचारधारा और जनता के साथ उनके अटूट रिश्ते की मिसाल है। यह जीत केवल एक चुनावी विजय नहीं, बल्कि जनता के विश्वास की अमिट मुहर है, जिसे कोई विरोधी हिला नहीं सकता।