प्री मैट्रिक बालक छात्रावास में फैली खुजली 15 से 20 बच्चे चपेट में

भारत सम्मान/सूरजपुर/फिरोज खान:- प्री मैट्रिक बालक छात्रावास दवना विकास खंड ओडगी में खुजली फैल गई है, वर्तमान में 15 से 20 बच्चे प्रभावित हैं परेशान चार बच्चों को छात्रावास में उपचार की व्यवस्था न होने के कारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भैयाथान में उपचार कराया गया खुजली एक गंभीर संक्रमण है जिनलोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है वे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
लापरवाह छात्रावास अधिक्षक संतोष यादव को खुजली फैलने की जानकारी नहीं।
जब हमारी टीम प्रि मैट्रिक बालक छात्रावास में पहुंची तो लापरवाह अधीक्षक संतोष यादव से खुजली फैलने की जानकारी चाही गई तो उन्होंने कहा कि छात्रावास में ऐसी कोई बात नहीं है, जब बच्चों से पूछा गया तो बच्चों ने बताया कि 15 से 20 लोगों को खुजली हो रहा है छात्रावास में रहने वाले दर्जनों विद्यार्थी खुजली की समस्या से परेशान है लेकिन स्वास्थ्य सुविधा को दरकिनार कर छात्रों के सेहत से खिलवाड़ हो रहा है छात्रावास की मांनको को पूरा करवाने शिक्षा विभाग न तो छात्रावास का निरीक्षण करता है और न हीं स्वास्थ्य महकमा छात्रों की सेहत जांचने पहुंचता है, अगर निरीक्षण किया जाता है तो फिर बच्चों में हो रही खुजली पर आज तक इनका ध्यान क्यों नहीं गया जो जांच का विषय है, जब बच्चों का वीडियो बनाना चाहा तो लापरवाह अधिक्षक तुगलगी फरमान जारी करते हुए बच्चों को रूम के अंदर जाने को बोला गया ओर चाहकर भी बच्चे कुछ बोल नही पाये, बच्चों में अधीक्षक का भय देखने को मिला , माता-पिता अपने बच्चों के अच्छी शिक्षा के लिए छात्रावास में दाखिला कराते हैं , लेकिन उनका देखरेख करने वाले जनता के टैक्स के तनख्वाह पाने वाले अधिक्षक उनके ही बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं गौर करने वाली सबसे बड़ी बात यह है कि तीन बच्चों का इलाज भैयाथान सामुदायिक केंद्र में हुआ तो क्या अधिक्षक के बिना जानकारी के इलाज कराने चले गए ,ऐसे लापरवाह अधिक्षक के कारण प्रदेश सरकार की छवि हो रही है धूमिल, जब अधिक्षक से पुछा गया की जर्जर भवन पर छात्रावास कैसे संचालित कर रहे हैं तो उन्होने कहा कि पुराना भवन जर्जर हालत में था इसलिए सहायक आयुक्त के मोखीक आदेश पर छात्रावास को संचालित कर रहे हैं,अगर किसी प्रकार का कोई दुर्घटना घटता है तो मै स्वयं जिम्मेदार हु।
करोड़ों की लागत से बना छात्रावास चढ़ा भ्रष्टाचार का भेट।
ऐसे निर्माण पर तो सवाल उठना लाजिमी है विभाग के इंजीनियरों की निगरानी में जिस ठेकेदार ने छात्रावास का निर्माण किया है इसकी वर्तमान स्थिति देखकर सवाल उठाना तो लाजमी है की करोड़ों की लागत से बना भवन में हुए अनियमिताओं एवं भ्रष्टाचार के कारण आज खंडहर का रूप ले रहा है इस भवन में हुए भ्रष्टाचार में संलिप्त जितने भी लोग हैं उन पर प्रश्न चीन्ह तो लगता ही है कि जब भवन गुणवत्ता युक्त नहीं बनाई गई तब किस इंजीनियर ने ठेकेदार के द्वारा किए गए कार्य को हरी झंडी दे दी गई। छात्रावास का जगह-जगह प्लास्टर टूटा हुआ है स्थानीय लोगों का आरोप है कि ठेकेदार की अफसर से साथ गांठ के चलते एस्टीमेट में बिल्कुल विपरीत कार्य कराया गया है जिससे सरकार को आर्थिक रूप से चूना लगाया जा रहा है, छात्रावास निर्माण के दौरान संबंधित ठेकेदार के मिली भगत के चलते इंजीनियर एवं जिम्मेदार अफसर निर्माण कार्य में मनमानी रोकने तो दूर देखने भी नहीं आये हैं अब देखना है यह है कि इस खबर के बाद उन पर कार्यवाही कौन करेगा विभाग की क्रियान्वयन इकाई ऐसे ही इस भवन को सुपुर्द कर देगा जो बनने से पहले साल ही खंडहर होने की कगार पर है, या उच्च अधिकारियों द्वारा इसकी विधिवत जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करेगी।
डाक्टर बिना जांच के दे दिए दवाई।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भैयाथान के डाक्टर राजन पैकरा ने तीन बच्चों का खुजली का ईलाज होना बताया गया लेकिन खुजली होने का मुख्य कारण क्या है इस संबंध में चर्चा किया गया तो डॉक्टर ने कहा कि जांच के बाद ही पता चलेगा की खुजली कैसे हो रहा है , तो क्या डॉक्टर साहब बिना जांच किए ही बच्चों को खुजली का ईलाज कर दिए आखिर क्यों बच्चों के स्वास्थ्य के साथ आप खिलवाड़ करने लगे, नाम न छापने के सर्त पर स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारि ने बताया कि बच्चों को इलाज कराने जो लेकर आया था शराब के नशे में चूर था हालांकि ईसका पुष्टि हमारी टिम नही करती है।
कीचड़ से सनी सड़क पर पर चलने को मजबूर बच्चे।
करोड़ों रुपए की लागत से छात्रावास तो बन गया है पर आवागमन के लिए कोई सड़क नहीं बना है गली नुमा सड़क कीचड़ से सना है जिस पर बच्चे छात्रावास से स्कूल आते जाते हैं, जनप्रतिनिधियों का ध्यान ईस ओर न जाना शर्मनाक बात है, मात्र चार पांच ट्रैक्टर मुरूम की आवश्यकता थी जबकि प्रतिवर्ष लाखो रुपए पंचायत में मूलभूत के रूप में दिया जाता है किंतु सरपंच सचिव इस राशि का उपयोग अपने जेब भरने में करते हैं , जिला प्रशासन खबर को संज्ञान में लेकर कम से कम सड़क पर पांच ट्रिप मुरुम अपने नुमाइंदों से कह के गिरवा देते , जिससे बच्चों को कीचड़ से सना रास्ते पर चलना नहीं पड़ता । बच्चे देश के भविष्य हैं उन पर तरस खाइए साहब। अब देखना यह हें कि खबर प्रकाशित के बाद तिलमिलाहट में छात्रावास अधीक्षक, सरपंच सचिव कौन सा मानगढ़त कहानी बनाते हैं , या खबर प्रकाशित करने पर किसी थाने में फिर करवायेगे क्योंकि ओडगी में पत्रकारों पर एफ आई हर होना आम बात है, या समस्याओं की निदान के लिए ठोस कदम उठाते हैं या इस तरह की लापरवाही दुबारा ना हो इस पर चिंतन मनन करेगे
जिला प्रशासन, जिला सहायक आयुक्त, जिला शिक्षा अधिकारी,जनपद स्तर के सीईओ,बिईओ मंडल संयोजक की कोई जिम्मेदारी नहीं है, या सिर्फ एसी में बैठकर खानापूर्ति करना है ऐसे लापरवाह अधिकारी कर्मचारियों के चलते केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार बदनाम हो रही है ,या फिर शासन में बैठे लोग सत्ता और पद के घमंड में मस्त हैं और ईधर विभाग की सुविधा दम तोड़ रही है इस पर संज्ञान कब लेंगे समझ से परे है।