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आंध्रप्रदेश के पत्रकार संगठनों ने छ० ग० पत्रकारों के खिलाफ़ फर्जी प्रकरण निरस्त कराने की मांग

अब अंतिम परिणाम तय करेगा कि सरकार ने क्या किया - प्रफुल्ल ठाकुर

रायपुर, भारत सम्मान – राष्ट्रीय संगठन आईजेयू से जुड़े आँध्रप्रदेश यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के शीर्षस्थ पदाधिकारियों के आग्रह पर छत्तीसगढ़ के चार पत्रकारों के खिलाफ़ दर्ज फर्जी मामले को ख़त्म करने के लिए आंध्राप्रदेश सरकार तथा पुलिस अधिकारियो से मांग की है।

 

स्टेट वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष पी० सी० रथ तथा महासचिव विरेंद्र कुमार शर्मा ने अपने सहयोगी आंध्राप्रदेश की यूनियन से इस मामले में मदद करने का आग्रह किया था, कोंटा के पत्रकारों व अन्य साथियों की भी इस सम्बन्ध में मदद ली गयी। 

 

राज्य संगठन सचिव सुधीर तम्बोली आज़ाद का मानना था कि जब मामला आंध्रप्रदेश में दर्ज हुआ है तो वहीं पर प्रभावी पहल की जानी चाहिए।

 

आंध्रप्रदेश के पत्रकार संगठनों ने छ० ग० के पत्रकारों के खिलाफ़ फर्जी प्रकरण निरस्त करने की मांग की।

 

विजय वाड़ा, एपीयूडब्ल्यूजे के अध्यक्ष आईवी सुब्बाराव, महासचिव चंदू जनार्दन, आईजेयू सचिव सोमा सुंदर, आईजेयू राष्ट्रीय परिषद के सदस्य नागराजू ने मांग की है कि छत्तीसगढ़ राज्य के 4 पत्रकारों के खिलाफ अल्लूरी सीतारामाराजू जिले के चिंतूर पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में दर्ज अवैध गांजा मामले को हटा दिया जाए। उन्होंने कहा, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा चिंतूर में कोंटा पुलिस स्टेशन के सीआई ने पत्रकारों के साथ इस तरह का पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया है। रेत माफिया के संबंध में पत्रकारों द्वारा लगाए गए धमकी के आरोप को ध्यान में रखते हुए इसकी कानूनी जांच कराई जाए।

 

सवाल हैं कि रेत माफिया के दबाव में आकर पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज करने वाली पुलिस ने सबरी नदी से अवैध रूप से रेत परिवहन करने वाले माफिया के खिलाफ मामला क्यों दर्ज नहीं किया। अगर मामले में पत्रकारों पर अवैध वसूली का आरोप लगाया जा रहा है, तो रेत माफियाओं ने यदि शिकायत की है तो उसी संबंध में केस दर्ज होना चाहिए और जाँच की जानी चाहिए।

 

लेकिन सरकार को इस आरोप की भी गहन जांच करानी चाहिए कि पुलिस ने गाड़ी में 40 किलो गांजा कैसे रखा था. पत्रकारों और होटल द्वारा लिए गए सभी सीसीटीवी फुटेज जारी किए जाने चाहिए।

 

पुलिस की अनियमितताओं पर सवाल उठाते हैं तो गांजा का केस दर्ज करा दिया जाता है. स्थानीय लोगों का दावा है कि यह केस इस आधार पर दर्ज किया गया है कि एक पत्रकार ने उच्च स्तर के पुलिस अधिकारियों को एक दिन पूर्व सीआई की शिकायत की थी. कार में 40 किलोग्राम गांजा रखे जाने का मतलब है कि पुलिस के गांजा डीलरों के साथ उनके संबंधों के बारे में नए संदेह सामने आए हैं। अगर यह सच है कि पुलिस ने गाड़ी में गांजा रखवा डाला, तो कानून की रक्षा करने वाली पुलिस की कानून में बाधा डालकर और गैरकानूनी मामले बनाने की कोशिश की कड़ी निंदा करते हैं।

 

मांग – छत्तीसगढ़ राज्य के पत्रकारों पर आंध्र प्रदेश में दर्ज किये गये झूठे गांजा मामले को तुरंत वापस लिया जाये और पत्रकारों को रिहा किया जाये तथा अवैध कार्य करने वाले पुलिस कर्मियों पर भी मामला दर्ज किया जाये।

 

 

अब अंतिम परिणाम तय करेगा कि सरकार ने क्या किया – प्रफुल्ल ठाकुर

रायपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष ने सोशल मीडिया के माध्यम से किया बस्तर के पत्रकारों का समर्थन…

बस्तर के पत्रकार साथियों की गाड़ी में गांजा रखकर षड्यंत्र पूर्वक फंसाने के मामले में छत्तीसगढ़ सरकार की भूमिका देख रहे हैं, कर रहे हैं, लगे हुए हैं, बात हो रही है, अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रहे हैं, वाली रही। अंत में वही हुआ, जो होना था। जो कोंटा टीआई अजय सोनकर चाह रहा था। जो अजय सोनकर के साथ मिलकर आंध्र प्रदेश पुलिस चाह रही थी। जो रेत माफिया चाह रहे थे। चारों पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर हुई। गिरफ्तारी हुई। 

 

छत्तीसगढ़ सरकार इस मामले कुछ कर रही थी। कुछ कर रही है और कुछ करना चाह रही है, यह इस बात से साबित होगा कि सरकार इस पूरी साजिश का पर्दाफाश करेगी। सारे तथ्य, सबूत और घटनाक्रम इस ओर इशारा कर रहे हैं कि बस्तर के चारों पत्रकार बप्पी राय, धर्मेंद्र सिंह, मनीष सिंह और शिवेंदु त्रिवेदी को जानबूझ कर फंसाया गया है। और इस पूरे षडयंत्र के पीछे कोंटा थाना प्रभारी अजय सोनकर का हाथ है।

 

जिस व्यक्ति से हम लोगों और समाज की रक्षा की उम्मीद करते हैं, अगर वही व्यक्ति अपराधियों के साथ मिलकर लोगों और समाज के खिलाफ ही षड्यंत्र रचने लगे तो पूरी व्यवस्था का क्या होगा ? जब रक्षक ही भक्षक बन जायेगा तो भरोसा आखिर किसके ऊपर किया जाएगा? कोंटा थाना प्रभारी अजय सोनकर की भूमिका पूरी तरह संदिग्ध है। जिसने रेत माफियाओं के इशारे पर पत्रकारों को फंसाने के लिए उनकी गाड़ी में गांजा रखवाया। अगर ऐसे षड्यंत्रकारी को सबक नहीं सिखाया गया तो आने वाले समय में इसके बड़े दुष्परिणाम दिखाई देंगे।

 

थाना प्रभारी अजय सोनकर रेत माफियाओं के लिए काम कर रहा था। प्रथमदृष्टया यह साबित हुआ है। प्रशासन ने उसे लाइन अटैच किया है। उसके खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं। मगर जांच में जरा भी कोताही बरती गई, सारे तथ्य, प्रमाण और घटनाक्रम को नजरअंदाज किया गया और उस षड्यंत्रकारी के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई नहीं कि गई तो सरकार के सारे प्रयास सवालों के घेरे में होंगे।

 

देख रहे हैं, कर रहे हैं, लगे हुए हैं, अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रहे हैं जैसे जवाबों की उम्मीद प्रदेशभर के पत्रकार सरकार से नहीं कर रहे हैं। सरकार बहुत बड़ी चीज होती है। पत्रकार सरकार से इस पूरे षड्यंत्र के पर्दाफाश और षड्यंत्रकरियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई चाह रहे हैं। मुझे सरकार पर पूरा भरोसा है कि सरकार दूध का दूध, पानी का पानी करेगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी करवाई करेगी। मेरा भरोसा कितना सही है यह तो अंतिम परिणाम तय करेगा, जिसे साबित करने की जिम्मेदारी अब सरकार की है।

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