सुरजपुर

कौन हूँ मैं? क्या भला अस्तित्व मेरा
शून्य सा….

कौन हूँ मैं? क्या भला अस्तित्व मेरा
शून्य सा, या बुलबुला केवल आकिंचन
मात्र जीवन, किंतु हाए ये अहं घेरा

एक माटी का खिलौना, गढ़ दिया कब चक्रधर ने?
शेष अनजाने क्षणों में रचा है किन अदृश्य कर ने?
एक चंचल मन लिए है साथ में,
चल रहा है, पथिक, जीवन पाथ में
सुमन के सपने सजाए,
मिली कंटक पूर्ण बेरा
कौन हूँ मैं क्या भला अस्तित्व मेरा?


जो कभी चाहा गया, क्या हुआ हासिल?
जो कभी मांगा गया, फिर गया क्या मिल?
कंटकों के देश में चलता गया
सुमन सुरभित एक उपवन मिल गया है,
अधिकार, सुस्मित वाटिका पर है न मेरा
कौन हूँ मैं क्या भला अस्तित्व मेरा?


है तृषाकुल जहां जीवन, क्या वहां सरिता गई है?
विडंबना से भरे जीवन को कभी,
मिल गई कोई करुणा नदी है?
युगों से पी-पी पपिहा रट रहा है
अब तलक क्या प्यास उसकी बुझ सकी है?
कीर किसको ढूंढने फिर उड़ चला है?
कोकिला किसको पुकारे फिर रही है?
इस जगत में कुछ नहीं तेरा या मेरा
कौन हूँ मैं क्या भला अस्तित्व मेरा?


उदय ही के बाद डूब जाता ये सूरज
दिन ढले फिर रैन का पसरा बसेरा
सृजन अपने संग विघटन ले चला है।
अवसान को निर्माण ने, नियति चुना है।
है “निरंजन” मात्र एक सत्य तो फिर,
दुखों की काली घटा ने क्यों है घेरा।
मरण का त्योहार जीवन के लिए है,
जन्म ने भी आखिरी में मृत्यु हेरा।।
कौन हूँ मैं क्या भला अस्तित्व मेरा

गरिमा शर्मा
सलका अघिना
शिक्षिका

Bharat Samman

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