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साय सरकार को लगी किसकी हाय? – अकिल

रायपुर, भारत सम्मान – अकिल अहमद अंसारी असिस्टेंट प्रोफेसर होलीक्रॉस वोमेन कॉलेज में पदस्थ हैं और डिजिटल क्राईम एण्ड इन्वेस्टिगेशन में पीएचडी कर रहें हैं उनकी छत्तीसगढ़ में हो रहे पुलिस अभिरक्षा में मौत व लगातार बढ़ रहे शारीरिक अपराधों पर पैनी नज़र है, उन्होंने अपने शोसल मीडिया साईट फेसबुक पर पोस्ट कर बताया कि पूर्व व वर्तमान सरकार की इस्थितियाँ क्या बयाँ कर रही है।

विगत 24 अक्टूबर को उत्तरी छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में गुरुचंद मंडल नामक एक स्वास्थ्यकर्मी जिसे पुलिस ने उसकी ही पत्नी की गुमशुदगी के सिलसिले में पूछताछ के लिए थाने बुलाया था, उसकी संदिग्ध परिस्थियों में मौत हो जाती है पुलिस ने इसे आत्महत्या बताया इसके बात आक्रोशित भीड़ ने थाने में तोड़फोड़ किया, महिला एडिशनल एसपी को महिलाओं ने चप्पल से पीटा, इसके बाद सियासत तेज है कांग्रेस के अध्यक्ष दीपक बैज और सरगुजा संभाग से पूर्व स्वास्थ्य एवं उप-मुख्यमंत्री ने इसे हत्या बताया है एवं अंबिकापुर के नगर पालिक निगम के महापौर डॉ० अजय तिर्की के नेतृत्व में जांच दल का गठन किया गया है।

साल 2019 में जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी तब अंबिकापुर के सिटी कोतवाली में पंकज बेक नामक एक आदिवासी युवक की इसी तरह पुलिस कंट्रोल रूम के बगल में बैठी हुई अवस्था में फंदे से लटकी लाश मिली थी तब भी जमकर हंगामा हुआ था।

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शासन कांग्रेस की हो या भाजपा की व्यवस्था एक जैसी ही रहती है. 2018 के चुनाव में सरगुजा संभाग ने कांग्रेस को 14 और भाजपा को शून्य सीट दी थी ठीक इसके विपरीत 2023 में जनता ने भाजपा को पूरी 14 और कांग्रेस को शून्य सीट दिया इसलिए छत्तीसगढ़ में सरकार को पलटने में सरगुजा संभाग इतना महत्वपूर्ण है कि भाजपा ने विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री इसी संभाग से बनाया।

आइए अब इसी संभाग में घटित दो बहुचर्चित कस्टोडियल डेथ के माध्यम से दोनों सरकारों की कानून-व्यवस्था एवं नेतृत्व की श्रृंखलाबद्ध समीक्षा करने का प्रयास करते हैं:-

1. अभी भाजपा के शासन में सरगुजा संभाग के बलरामपुर थाने में गुरुचंद मंडल का कस्टोडियल डेथ हुआ ठीक ऐसा ही वर्ष 2019 में कांग्रेस के शासन में सरगुजा संभाग के अंबिकापुर थाने में पंकज बेक का कस्टोडियल डेथ हुआ था।

2. दोनों ही मामलों में पुलिस ने संदेह के आधार पर आरोपी को पूछताछ के नाम पर हिरासत में लिया तो था जीवित, परंतु दोनों ही घटनाओं में आत्महत्या की कहानी बनाकर पुलिस ने परिजनों को लौटाया उनका शव. दोनों की मौत पर सवालों के घेरे में पुलिस रही है।

3. दोनों ही केस में जमकर हंगामा होने के बाद वर्तमान घटना में बलरामपुर थाने के टीआई प्रमोद रुसिया और आरक्षक को सस्पेंड किया गया ठीक इसी प्रकार 2019 में अंबिकापुर के तत्कालीन टीआई विनीत दुबे सहित अन्य 4 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया एवं बाद में उन पर आत्महत्या के दुष्प्रेरण का अपराध पंजीबद्ध हुआ था।

4. इसके अतिरिक्त सरगुजा संभाग में ही उक्त दोनों कस्टोडियल डेथ अपने-2 क्षेत्र के कद्दावर मंत्रियों के गृह क्षेत्र में घटित हुए हैं, वर्तमान में कद्दावर मंत्री राम विचार नेताम के क्षेत्र, बलरामपुर में यह घटना हुई है जबकि 2019 में कांग्रेस के कद्दावर नेता एवं तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव के गृह नगर अंबिकापुर के थाने में पंकज बेक की पुलिस हिरासत में मौत हुई थी।

5. घटना उपरांत जिस प्रकार वर्तमान में विपक्षी पार्टी कांग्रेस, प्रदेश की भाजपा सरकार पर प्रश्न उठा रही है ठीक वैसा ही 2019 में प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कस्टोडियल डेथ का मुद्दा छत्तीसगढ़ विधानसभा में उठाया था।

6. 2019 में घटना उपरांत मृतक पंकज बेक के शव को जलाने के लिए पुलिस लकड़ी लेकर पंकज के गांव, ग्राम अधीना सलका गई थी और वर्तमान में गुरुवंद मंडल के शव को भी जलाने के लिए पुलिस लकड़ी लेकर मृतक के गांव गई थी।

7. पुलिस अभिरक्षा में हुई मौत के बाद पुलिसिया कार्यवाही एवं पोस्टमार्टम पर दोनों के परिजनों को भरोसा नहीं हुआ अतः शव का दाह-संस्कार ना करके पंकज बेक की तरह गुरुवंद मंडल के शव को भी परिजनों ने दफ़नाया है जिससे की भविष्य में यदि आवश्यकता हो तो शव का दुबारा पोस्टमार्टम किया जा सके, साथ ही दोनों की कब्र पुलिसिया कहर की दास्तान याद दिलाते रहें।

8. दोनों की मौत पर विपक्षी पार्टियों ने जांच दल गठित किया; तब 2019 में भूतपूर्व गृहमंत्री रामसेवक पैंकरा के नेतृत्व में भाजपा ने जांच कमेटी गठित की थी और अब टीएस सिंहदेव के करीबी, अंबिकापुर के महापौर डॉक्टर अजय तिर्की के नेतृत्व में कांग्रेस ने जांच कमेटी गठित की है।

9. तब 2019 में भाजपा ने पंकज बेक की मौत को आत्महत्या के बजाय हत्या करार दिया था आज ठीक वैसे ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व उप-मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने गुरुचंद मंडल की मौत को पुलिस द्वारा थर्ड डिग्री टॉर्चर उपरांत हत्या करार दिया है।

10. 2019 में पंकज बेक और आज 2024 में गुरुचंद मंडल की मौत ने प्रदेश स्तर पर अखबारों एवं मीडिया में कानून-व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े किए हैं।

दोनों सरकारों में मानवाधिकारों पर पुलिस की कार्यप्रणाली एक जैसी है अतः स्वाभाविक है इन सरकारों से ना तो अब तक पंकज बेक को न्याय मिला है और ना ही गुरुचंद मंडल को न्याय मिलने की कोई उम्मीद है।

दोनों घटनाओं में समानता तो आपने देख लिया आइए अब देखते हैं पंकज बेक और गुरुचंद मंडल की मौत की घटना के बाद तंत्र के रवैये में अंत कौन से हैं?

1. गुरुचन्द मंडल मामले में मृतक के घर जाकर कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने 50 हज़ार स्वयं एवं 5 लाख शासकीय सहायता देने की घोषणा सहित आश्रित बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी लेने का बयान जारी किया है।

जबकि…

2019 में कोई मुआवज़ा तो भूल जाइए जब मृतक पंकज बेक की बेवा रानू बेक टीएस सिंहदेव से मिलकर अपना पीड़ा व्यक्त करने एवं इंसाफ मांगने उनके निवास ‘तपस्या’ में गई थी तो उसे बाहर से ही भगा दिया गया था. बाद में मेरे व्यक्तिगत प्रयास पर वह सिंहदेव से मिल पायी लेकिन उन्होंने पीड़िता को सांत्वना या कोई आश्वासन देने के बजाय पुलिस की कहानी दोहराते हुए कहा था “मामला आत्महत्या का है एवं मृतक के शरीर में चोट भागते हुए झाड़ियों से लगा होगा”

https://youtu.be/XZQeB8pCOfo?si=qdkGr0Xl3jkyfulK

2. बलरामपुर कस्टोडियल डेथ में कद्दावर मंत्री रामविचार नेताम ने घटना उपरांत वीडियो जारी कर, गुरुचंद मंडल की मौत में संदेह व्यक्त करते हुए दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही किए जाने का आश्वासन दिया है।

https://youtu.be/p_kgHnxrpjY?si=gEH3Unu3wHNZSNvt

जबकि…

पंकज बेक कस्टोडियल डेथ में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कस्टोडियल डेथ के मुख्य आरोपी एवं निलंबित टीआई विनीत दुबे को उसके निलंबन के दौरान ही सम्मानित करते हुए, अपने पिता एमएस सिंहदेव मेमोरियल क्रिकेट मैच कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बनाकर फीता कटवाया। (चित्र में देखें)

https://youtu.be/tmOe7_mhE1c?si=tox89Ns-J-vnUow-

3. बलरामपुर कस्टोडियल डेथ में पुलिस प्रशासन बैकफुट पर है, यहाँ तक कि महिला एडिशनल एसपी निमिषा पांडे की एक महिला ने चप्पल से पिटाई करके उन्हें अपमानित किया एवं उन्हें चोट भी आई परंतु उन्होंने संयम से काम लिया एवं अपने पद की गरिमा का सम्मान रखा।

जबकि…

पंकज बेक कस्टोडियल डेथ के बाद पुलिस पर हत्या का संदेह जताने एवं सोशल मीडिया में प्रश्न उठाने मात्र से मुझे एवं दो पत्रकारों को आरक्षक स्तर के पुलिसकर्मियों द्वारा सारेआम ना केवल सोशल मीडिया में सार्वजनिक धमकी दिया जा रहा था बल्कि एक आरक्षक ने तो मुझे फ़ोन पर कॉल करके मैदान में मिलने और निपट लेने की धमकी तक दिया था इसके बाद तत्कालीन एसपी आशुतोष सिंह से जब मैं उक्त आरक्षकों के कदाचरणों एवं धमकियों की प्रमाण सहित लिखित शिकायत लेकर पहुंचा तो उन्होंने अपने अधीन आरक्षकों को कुछ कहने या कार्यवाही करने के बजाय उल्टे मुझे ही सुझाव दिया कि “सोशल मीडिया में ब्लॉक का ऑप्शन भी तो रहता है आप उन्हें ब्लॉक कर दीजिए” इसके बाद निराश होकर तत्कालीन आईजी के.सी. अग्रवाल से लिखित शिकायत करने पर हमें धमकियाँ मिलनी बंद हुईं लेकिन कार्यवाही कुछ नहीं हुआ इसके विपरीत सभी निलंबित पुलिसकर्मी बहाल होकर पंकज बेक की बेवा एवं परिजनों को अप्रत्यक्ष धमकियां देते रहे, इनमें से एक सिपाही दीनदयाल सिंह ने तो बाकायदा अंबिकापुर में ही पोस्टिंग भी ले लिया।

4. बलरामपुर की घटना में शायद ही किसी अख़बार या पत्रकार ने मामले में निलंबित टीआई प्रमोद रुसिया के पक्ष में पत्रकारिता (चाटुकारिता) की हो लगभग सभी पत्रकार पीड़ित पक्ष के साथ ही खड़े नज़र आ रहे हैं।

जबकि…

2019 में निलंबित टीआई विनीत दुबे एवं उसके सह-आरोपी पुलिसकर्मियों के पक्ष में अंबिकापुर के कुछ स्थापित दलाल कथित पत्रकार जिनकी हैसियत एक बोतल दारू की थी उन्होंने पूरी बेशर्मी से पीड़ित पक्ष के विरुद्ध एवं आरोपी पुलिसकर्मियों के पक्ष में समाचार लगाकर अपनी ‘पत्तलकारिता’ से पत्रकारिता को शर्मसार किया था।

5. गुरुचन्द मंडल स्वास्थ्य विभाग में भृत्य के पद पर कार्यरत थे।

जबकि…

पंकज बेक की बेवा पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत की करीबी रिश्तेदार है।

कुलमिलाकर…

वर्तमान में जो थोड़ा बहुत बदलाव आया है वो पब्लिक की जागरूकता और अपराध के विरुद्ध हम सब की एकजुटता से आया है, कांग्रेस के शासन में सरगुजा संभाग अपराध और पुलिसिया कहर से थर्राया हुआ था, सरगुजा में कांग्रेस की पिछली सरकार शायद ही किसी पीड़ित के पक्ष में खड़ी नज़र आई हो इसके विपरीत आदिवासियों की जमीन लूटने वाले अपराधियों के फोटो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव के साथ हैलीकॉप्टर यात्रा करते हुए नज़र आ रहे थे।

पत्रकारों पर फर्जी एफ़आईआर करके जेल भेजा जा रहा था, सरगुजा में कांग्रेस की सत्ता में क़ानून-व्यवस्था की स्थिति कितनी बदतर थी जिसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक पत्रकार पर फर्जी एफ़आईआर से प्रसन्न हिस्ट्रीशीटर अपराधिगण गांधीनगर थाने के बाहर तत्कालीन थानेदार एलरिक लकड़ा को गुलदस्ता भेंट कर रहे थे और गांधीनगर थाने के ज़िन्दाबाद के नारे लगा रहे थे।

https://www.facebook.com/share/v/mK8KACddut2WerQF/?

कांग्रेस शासन में इन्ही सब घटनाओं से त्रस्त होकर समूचे सरगुजा संभाग ने 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 14 में से एक भी सीट नहीं दिया यहाँ तक कि सबसे धनी विधायक एवं कद्दावर मंत्री टीएस सिंहदेव भी 94 वोट से चुनाव हार गए, मुझे याद है उनके हारने पर पुलिस कस्टडी में मृत पंकज बेक के गांव के एक बुजुर्ग ने कहा था “टीएस बाबा ला पंकज के बेवा के हाय लग गायिस”

https://youtu.be/XZQeB8pCOfo?si=XxFxiv8jjLs2xPio

कांग्रेस की सरकार को किसकी हाय लगी यह तो लोगों की मान्यता का प्रश्न है परंतु इस साय सरकार को किसकी हाय लग गई जो एक वर्ष पूरे भी नहीं होने पर भी एक के बाद एक लगातार बड़ी घटनाएं हो रही हैं जिससे यह प्रतीत हो रहा है कि प्रदेश की भाजपा सरकार, शासन चलाने में सक्षम ही नहीं है. इस सरकार का आगाज़ ऐसा है तो अंजाम जाने क्या होगा?

जय हिन्द

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