सत्य की हुई जीत लगभग एक दर्जन एसईसीएल अधिकारियों की हुई सर्जरी- भटगांव क्षेत्र
क्या ट्रांसफर लेटर लेकर ट्रांसफर हुए खदान क्षेत्र में ज्वाइन करेंगे एरिया सेल्स मैनेजर सुधीर कुमार या फिर रुपयों के दम पर ट्रांसफर रुकवाकर एसईसीएल भटगांव क्षेत्र में बनाएंगे भ्रष्टाचार का अड्डा।
भारत सम्मान/ सुरजपुर/फिरोज खान:- जिले के एसईसीएल भटगांव क्षेत्र के कोयला खदानों को लेकर महाप्रबंधक सहित कई बड़े अधिकारी कई महीनों से कई दैनिक अखबारों में लगातार सुर्खिया बटोरने में लगे हुए है जिन्हें कहीं न कहीं उच्च विभागीय अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है ऐसा दिखाई दे रहा है जिस पर मीडिया के द्वारा फोकस कर लगातार पिछले 8 महीनों से एक से बडकर एक एसईसीएल भटगांव क्षेत्र में हो रहे कारनामों को उजागर करने का प्रयास करता रहा है जिस पर कहीं न कहीं विभाग भी अब थक हार कर संज्ञान लिया है जहां एसईसीएल भटगांव क्षेत्र के कोयला खदानों में पैसा और राजनीतिक संरक्षण के दम पर कोल इंडिया मुख्यालय के स्थानांतरण आदेश को भी ठेंगा दिखा कर भटगांव एसईसीएल क्षेत्र के कोयला खदानों में अंगद की तरह पांव जमा कर बैठे हुए थे और लगातार एसईसीएल भटगांव क्षेत्र में हो रहे गलत कार्यों के प्रति चारागाह का अड्डा बनाकर चल रहे थे उनका एसईसीएल मुख्यालय के द्वारा एसईसीएल भटगांव क्षेत्र में एक बड़ा सर्जरी किया गया है।
अब देखना यह होगा कि एसईसीएल मुख्यालय के द्वारा स्थानांतरित आदेश का पालन करते हुए सुधीर कुमार समेत अन्य अधिकारी भटगाँव क्षेत्र से रिलीज होकर स्थानंतरित हुए स्थान पर अपनी ड्यूटी ज्वाइन (कार्यभार ग्रहण) करते है या इस बार भी पैसा और राजनीतिक संरक्षण के दम पर आदेश को ठेंगा दिखाते नजर आयेंगे।
लंबे समय से जमे होने के कारण एसईसीएल भटगांव क्षेत्र को बना चुके थे चारागाह का अड्डा अब नये अधिकारियों के आने से क्या भटगांव क्षेत्र के लगातार बंद होती खदानों का कुछ उद्धार होगा या यू ही चलते रहेगा यह तो आने वाला समय ही बता पायेगा क्योंकि विगत एक वर्ष में भटगांव क्षेत्र में अधिकारियों कि नाकामी व नकारेपन के वजह से कई खुदाने बंद हो चुकी है जिसमें भटगांव महाप्रबंधक सबसे बड़े दोषी है। इन स्थानांतरण में महत्वपूर्ण रूप से सहक्षेत्रीय प्रबंधक भटगांव का भी आवश्यक था जो हुआ क्योंकि इनके द्वारा लगातार कोयले में मिलावट कराते हुए व कई प्रकार की वसूली से भटगांव खदान में कार्यरत कर्मचारियों ने राहत की साँस ली है।
एसईसीएल भटगांव क्षेत्र के स्थापना से लेकर आज तक का तुलना किया जाए तो सबसे बड़े निष्क्रिय साबित हो रहे है महाप्रबंधक भटगांव प्रदीप कुमार जो इनके भटगांव क्षेत्र के महाप्रबंधक का कार्यभार ग्रहण करने के बाद से आज तक कोई भी ऐसा कार्य नहीं कर पाए जिसके चहेतो के अलावा अधिकांश मजदूर खुश दिखाई दिए हो जहा लगातार खदानों के बंद होने से अपने स्थानांतरण को लेकर मजदूर चिंतित दिखाई दिए है जहां बंद पड़े कोयला खदानों में कोयला का आपार भंडार होने के बाद भी महाप्रबंधक भटगांव के द्वारा इन कोयला खदानों को खोलने के लिए पूरी तरह निष्क्रिय साबित हो रहे है जबकि सूत्र बताते है की महाप्रबंधक भटगांव की लगभग तीन महीना बाद रिटायरमेंट में अब देखना यह होगा की महाप्रबंधक भटगांव रिटायरमेंट से पहले इन बंद पड़े कोयला खदानों को खुलवा पाते है या यू ही भ्रष्ट और चारागाह बनाने की भूमिका निभा रहे अधिकारियों को संरक्षण देते ही अखबारों में सुर्खियां बटोरते रिटायरमेंट ले लेते हैं।
अब देखना है कि भटगांव 1/2 व दुग्गा सहक्षेत्र में सहक्षेत्र प्रबंधक को खुश कर जमे चहेतों पर कुछ कार्यवाही या स्थानांतरण होगा या वही स्थिति बनी रहेगी क्योंकि दुग्गा व महान ओसीएम में सहक्षेत्र प्रबंधक – भटगांव/दुग्गा को खुश कर काफी लोग घर बैठे प्रतिमाह लाखों रुपये का मोटा तनख्वाह ले रहे है क्या उन्हें आवश्यक स्थानों पर स्थानांतरण किया जायेगा जहां ट्रिपमैनो को हाजरी बाबू, बम बैरियर और बिलिंग बाबू बनाकर रखें हुए हैं क्या इनको उनके डेजीगनेशन पर कार्य दिया जायेगा?