एक सौ बीस की आयु में हलीमा बीबी ने दुनियां को कहा अलविदा

भारत सम्मान/सुरजपुर/युसूफ मोमिन:-120 वर्ष के उम्र में हलीमा बीबी ने दुनियां को कहा अलविदा ज्ञात हो कि हलीमा बीबी का जन्म भैयाथान ब्लॉक के ग्राम पलमा में हुआ था हलीमा बीबी का विवाह जनपद पंचायत प्रतापपुर के केवरा निवासी मोहम्मद खलील के साथ हुआ इनकी तीन पुत्र और चार पुत्रीया हैं जब बच्चे छोटे छोटे थे तब ही इनके शौहर मोहम्मद खलील बका को छोड़कर फ़ना की जानिब रवाना हों गए छोटे बच्चों के सरो से बाप का साया उठ गया हलीमा बीबी रब की रज़ा पर राज़ी होकर अपना जीवन व्यतीत कर अपने बच्चों का परवरिश करती रही उनका जीवन काफ़ी संघर्षशील रहा गरीबी के दौर में चूड़ी का व्यवसाय कर अपना और अपने बच्चों पेट भरने का जुगत लगाती रही।

समय नामक पंछी अपने काले सफेद परों के साथ उड़ता रहा अर्थात मुश्किलात भरी ज़िन्दगी गुजरती गई। बच्चें बाल्यावस्था से निकलकर युवा अवस्था में प्रवेश करने लगे तथा जरुरीयाते ज़िन्दगी पूरा करने के लिये कुछ ना कुछ कार्य करने लगे जिससे हलीमा बीबी का सहारा होने लगा हलीमा बीबी ने अपने बच्चों का विवाह कर बेटियों को ससुराल भेज दिया और बेटों का विवाह कर बहु घर ले आई अब हलीमा बीबी का परिवार फलता फूलता गया।

उनके जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ थीं हलीमा बीबी के आँगन में खुशियों का सवेरा होने लगा परिवार के सभी सदस्त अपनी अपनी दायित्वों का बोझ अपने अपने कांधे पर उठाने लगे कहा जाता हैं की रब के घर देर हैं अंधेर नहीं कामयाबियाँ हलीमा बीबी के बच्चों के कदम चूमने लगीं कुदरत का निज़ाम चलता रहा और हलीमा बीबी बुढ़ापे के दहलीज पर पहुंच गयीं हलीमा बीबी अपने छोटे बेटे डॉक्टर अब्दुल मजीद के साथ अपने घर में रहा करती थीं वहीं उनके सभी बेटों और परिवार वालों के द्वारा देख रेख किया जाता था आखिर मौत का फरिश्ता कब किसको छोड़ा हैं।

फ़रिश्ते ने हलीमा बीबी के घर पर दस्तक दिया और 120 वर्ष के उम्र में हलीमा बीबी ने भरे पुरे परिवार के आँखों में आँसू देकर दिनांक 10-10-2024 गुरुवार को 11: 30 बजे दुनियां को अलविदा कह दिया परिवार रिश्तेदार के साथ साथ क्षेत्र के लोगों की आँखेँ नम कर गयीं गांव से एक बुजुर्ग का साया उठ गया आख़री विदाई के लिये डॉक्टर अब्दुल मजीद के घर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा शाम लगभग 07: 30 बजे ग्राम पंचायत केवरा के कब्रिस्तान में नमाज ए जनाज़ा के बाद सुपुर्द ए खाक किया गया जिसमे उमड़ते हुए सैलाब की तरह लोगों ने शिरकत की इस तरह हलीमा बीबी ने कभी ना लौटने वाले राह में कदम रख निकल पड़ी अपने मंजिले मकसूद की जानिब अपने रब से मिलने।