मैं 100 साल ना जियूँ, लेकिन अपने जीवनकाल में 100 बार रक्तदान जरूर करूंगा” — डॉ. लाला आज़ाद

जन्मदिन को बनाया ‘जीवन बचाने का दिन’ — 20 वर्ष की उम्र में तीसरी बार रक्तदान कर पेश की इंसानियत की मिसाल
जयपुर | संवाददाता रिपोर्ट
मानवता की मिसाल बन चुके युवा डॉ. लाला आज़ाद ने अपने 20वें जन्मदिन को एक अनोखे तरीके से मनाया — उन्होंने केक और पार्टी के बजाय रक्तदान को चुना। SMS हॉस्पिटल, जयपुर में आज उन्होंने लगातार तीसरी बार रक्तदान कर समाज के सामने एक प्रेरणादायी उदाहरण पेश किया।
डॉ. लाला आज़ाद का यह संकल्प —
“मैं 100 साल ना जियूँ, लेकिन अपने जीवनकाल में 100 बार रक्तदान जरूर करूंगा,”
युवाओं के बीच मानवता और सेवा का संदेश देने वाला है।
“रक्तदान सिर्फ़ स्वास्थ्य नहीं, जीवन का उत्सव है” रक्तदान करने के बाद डॉ. लाला आज़ाद ने कहा,
“रक्तदान से आपका कुछ भी खर्च नहीं होता, लेकिन आपका यही रक्तदान किसी के लिए जीवनदान साबित हो सकता है। हम धर्म, जाति या विचारधारा से पहले इंसान हैं, और इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है।”
उन्होंने यह भी बताया कि आज का दौर केवल तकनीकी या भौतिक विकास का नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं को पुनर्जीवित करने का समय है। यदि हर युवा वर्ष में दो बार रक्तदान का संकल्प ले, तो देश में किसी भी मरीज को रक्त की कमी से जान नहीं गंवानी पड़ेगी।
युवाओं के लिए प्रेरणा
डॉ. आज़ाद ने अपने कॉलेज के दिनों से ही समाजसेवा और जनजागरूकता को अपनी प्राथमिकता बनाया है। वे निरंतर रक्तदान, अंगदान और पर्यावरण संरक्षण जैसे विषयों पर युवाओं के बीच जनचेतना अभियान चला रहे हैं। उनका मानना है कि छोटे-छोटे कदम समाज में बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं।
SMS हॉस्पिटल में स्टाफ ने सराहा पहल
SMS हॉस्पिटल के ब्लड बैंक स्टाफ ने डॉ. लाला आज़ाद के इस कदम की सराहना की और कहा कि ऐसे युवाओं की वजह से ही समाज में सकारात्मक सोच और संवेदना जीवित है।
मानवता का संकल्प
अपने संदेश में डॉ. लाला आज़ाद ने युवाओं से अपील की —
“रक्तदान कोई त्याग नहीं, बल्कि यह जीवन देने का उत्सव है। अगर मेरे रक्त की कुछ बूंदें किसी की ज़िंदगी बचा सकती हैं, तो इससे बड़ी खुशी कोई नहीं।”
डॉ. लाला आज़ाद का यह प्रयास न केवल मानवता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि यह बताता है कि सच्चे अर्थों में जन्मदिन तभी सार्थक होता है जब वह किसी और के जीवन में उजाला लाए।



