नंद कुमार साय की राजनीति को लग सकता है ग्रहण
जशपुरनगर – भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर कांग्रेस में आए कभी देश के कद्दावर आदिवासी नेता माने जाने वाले नंदकुमार साय की मुश्किल तेजी से बढ़ती हुई नजर आ रही है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन्हें हाई कमान ने पहले ही स्पष्ट कर लोकसभा की तैयारी करने हेतु कहा गया था तथा राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री दर्जा देकर राज्य सरकार में भी पदस्थ कर दिया गया था इतना ही नहीं प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज द्वारा भी विधानसभा टिकट के लिए मना करने के बावजूद तीन अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र से नंदकुमार साय द्वारा दावेदारी पेश की गई है, ऐसी स्थिति में हाई कमान और प्रदेश अध्यक्ष को दरकिनार करते हुए तीन-तीन विधानसभा की दावेदारी नंदकुमार साय को भारी पड़ सकती है जबकि टिकट मिलने की उम्मीद नहीं के बराबर है।
इतना ही नहीं हाई कमान की नाराजगी का एक बहुत बड़ा कारण यह भी है कि नंदकुमार साय के द्वारा औद्योगिक विकास निगम मैं कैबिनेट मंत्री दर्जा मिलने के बाद अपने ही पुत्र एवं दामाद को अपना निज सहायक तथा विशेष सहायक नियुक्त कर दिया गया, उनके पुत्र परिवर्तन साय जो कि भाजपा के तरफ से कांग्रेस पार्टी के खिलाफ वर्तमान में चलाए जा रहे व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन भी है उनका तो परिवर्तन कर दिया गया परंतु अपने खुद के दामाद मोरध्वज पैकरा जो की मध्य प्रदेश मे भाजपा के तेज तर्रार युवा नेता के रूप में जाने जाते हैं उन्हें बतौर अपना विशेष सहायक बनाकर रखा है और वर्तमान में उक्त भाजपा नेता के माध्यम से नंद कुमार साय द्वारा औद्योगिक विकास निगम को चलाया जा रहा है।
कांग्रेस के प्रदेश संगठन को भी इस संबंध में पूरी जानकारी हो चुकी है जिससे प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की भी किरकिरी हो रही है तथा पार्टी की साख पर भी बट्टा लग रहा है क्योंकि कांग्रेस पार्टी के औद्योगिक विकास निगम को मध्य प्रदेश के युवा भाजपा नेता द्वारा चलाया जा रहा है यहां पर यह जानना जरूरी हो जाता है कि जब नंदकुमार साय ने भाजपा से कांग्रेस में प्रवेश किया था तो नंद कुमार साय के इसी विशेष सहायक भाजपाई दामाद मोरध्वज ने एक न्यूज़ चैनल को साक्षात्कार देते हुए कहा था कि कांग्रेस व्यक्तिवादी पार्टी है इस पार्टी में जाने से व्यक्तित्व नहीं रह जाता है और वह स्वयं बचपन से शाखा जाते रहे हैं।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी के सदस्य एवं अनुसूचित जनजाति मोर्चा अनूपपुर और शहडोल के प्रदेश प्रभारी भी है तथा उनके सांसों में आर एस एस है और वह जब तक जीवित रहेंगे तब तक भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर कांग्रेस तथा अन्य किसी पार्टी में कभी नहीं जाएंगे,ऐसे बयान सुनने के बाद समझा जा सकता है कि कोई बड़ी योजना बनाकर अपने श्वसुर नंदकुमार साय के औद्योगिक विकास निगम के दफ्तर में भाजपा की तरफ से सेंध लगाने का महत्त्वपूर्ण रोल तो अदा नहीं कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में अगर वह कांग्रेस की सत्ता में आकर मामूली वेतन पर कांग्रेस के नेता के विशेष सहायक बनाकर कार्य करना ही अपने आप में बहुत संदेहास्पद है।
कुछ बुद्धिजीवी राजनीतिज्ञ का कहना है कि भाजपा द्वारा इतनी बड़े-बड़े पदों को दिए जाने के बावजूद जिस तरह से नंदकुमार साय पार्टी छोड़कर कांग्रेस में गए हैं उसी के फल स्वरुप उनका राजनीतिक पतन के उद्देश्य से एक सूची समझी रणनीति के तहत मध्य प्रदेश के भाजपा युवा नेता मोरध्वज पर को औद्योगिक विकास निगम में भेजा गया होगा,किंतु जब कभी राजनीतिक कार्यक्रम में जाना होता है तो मोरध्वज पर कभी भी कैमरे के सामने नहीं आते हैं क्योंकि उन्हें, डर है कि कहीं कांग्रेस शासित औद्योगिक विकास निगम के साथ-साथ मध्य प्रदेश के भाजपा जनजाति मोर्चा में सह प्रभारी के दो पदों में एक साथ बने रहने का भेद खुल ना जाए।
वर्तमान में नंदकुमार साय की मुख्य टीम में उन्हें छोड़कर बाकी सभी भाजपा, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एवं विश्व हिंदू परिषद से संबंधित लोग ही नजर आते हैं जिससे लोगों द्वारा अब उन्हें फूल छाप कांग्रेसी भी कहा जाने लगा है।