पांच साल बाद रायपुर प्रेस क्लब पदाधिकारियों को चुनने के लिए होगा मतदान

सरकार की तरह पिछला कार्यकाल बीता, अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष ने पांच वर्ष किया शासन, बाकी पदों ने दे दिया था इस्तीफा…
कुछ पैनल से तो कुछ ने अकेले ठोका दावा
17 फ़रवरी को होना है मतदान…
जानें किसने किस पद के लिए भरा नामांकन…
रायपुर, भारत सम्मान – इंतजार की घड़ी अब समाप्त होती नजर आ रही है, पांच साल बाद राजधानी के पत्रकारों के बड़े संगठन रायपुर प्रेस क्लब में चुनावी माहौल बना हुआ है, दरअसल 5 साल बाद पदाधिकारियों को चुनने के लिए 17 फ़रवरी को मतदान होना है। प्रत्याशियों के पैनल की लगातार रणनीति बनाने हेतु बैठक चल रही है। प्रत्याशियों ने सोशल मीडिया पर घोषणाओं के साथ अपना प्रचार करना शुरू कर दिया है साथ ही शहर के अखबार के दफ्तरों में जाकर अन्य सदस्यों से मनुहार भी करने लगे हैं।
पहली बार तीन महिला पत्रकार लड़ेंगी चुनाव
बताते चलें कि 784 सदस्यों का नाम मतदाता सूची में है जिनमें कुल 37 सदस्यों ने विभिन्न पदों के लिए नामांकन भरा है जिसमें अध्यक्ष पद के लिए पहली बार 7 सदस्य सामने हैं, उपाध्यक्ष के 6, महासचिव के लिए 6, संयुक्त सचिव के दो पद के लिए 11 और कोषाध्यक्ष के लिए 7 सदस्यों ने नामांकन भरा है। 9 फरवरी नाम वापसी का दिन तय है, उसके बाद बता चलेगा कि कितने सदस्य चुनावी मैदान में डटे हुए हैं। पहली बार तीन महिला सदस्यों ने भी चुनाव लड़ने में रुचि दिखाई है।
जानें किस पद के लिए कौन…
अध्यक्ष पद के लिए…
अनिल पुसदकर, संदीप पुराणिक, सुकान्त राजपूत, प्रफुल्ल ठाकुर, दामू आम्बेडारे, नितिन चौबे और सुखनंदन बंजारे।
उपाध्यक्ष पद के लिए…
अजीत परमार, दिलीप साहू, विनय कुमार घाटगे, बृजनारायण साहू, संदीप शुक्ला और मनोज कुमार नायक। महासचिव पद के लिए दीपक पांडे, महादेव तिवारी, मोहन तिवारी, वैभव शिव पांडेय, सुधीर तंबोली और सुखनंदन बंजारे।
संयुक्त सचिव के दो पद हेतु…
तृप्ति सोनी, प्रदीप चंद्रवंशी, श्रीमती रेणु नंदी, लक्ष्मण लेखवानी, बमलेश्वर सोनवानी, श्रीमती भावना झा, शुभम वर्मा, नदीम मेमन , उमेश यादव, बमलेश्वर (अरविंद) सोनवानी और श्रवण यदु।
कोषाध्यक्ष पद हेतु…
कोरलैय्या राव, सनत तिवारी (कल्लू महाराज), रमन हलवाई, नदीम मेमन, सरनजीत सिंह तेतरी, डॉ अनिल द्विवेदी और स्टार जैन।
दरअसल चुनाव तो अब होना तय ही है पर पिछले कार्यकाल को लेकर ढेर सारे प्रश्नों का जखीरा शायद उसके उत्तर ढूंढते-ढूंढते पत्रकारों ने हार मान ली और अंततः छत्तीसगढ़ में नई भाजपा की सरकार बनने के पश्चात चुनाव का माहौल प्रेस क्लब में बना हुआ है। आज भी छत्तीसगढ़ के पत्रकारों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि जब पिछला शासन काल पांच वर्ष का था तो क्यों न रायपुर प्रेस क्लब के नियम को ही बदल कर चुनाव की एक वर्ष सीमा के जगह पांच वर्ष सर्वसहमति से कर दिया जाए।


